क्या पुणे में वन विभाग ने मोर के पंखों के अवैध व्यापार के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया?

सारांश
Key Takeaways
- मोर के पंखों का अवैध व्यापार एक गंभीर अपराध है।
- वन विभाग ने 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
- मोर हमारे देश का राष्ट्रीय पक्षी है।
- इस कार्रवाई से वन्यजीव संरक्षण में जागरूकता बढ़ेगी।
- मोर के पंखों का उपयोग सजावट के लिए किया जाता है।
पुणे, 5 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र वन विभाग ने पुणे के सोमवार पेठ क्षेत्र में अवैध रूप से मोर के पंख बेचने के मामले में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। फॉरेस्ट ऑफिसर ने 11 लोगों को गिरफ्तार किया और उनके पास से 400 से 500 किलो मोर के पंख जब्त किए। यह जानना जरूरी है कि मोर के पंखों को तोड़ना, भंडारण करना, व्यापार करना या खरीदना अवैध है।
वन विभाग को सोमवार पेठ के नरपतगिरी चौक में मोर के पंखों की अवैध बिक्री की सूचना मिली थी। इस पर वन विभाग की टीम ने कार्रवाई करते हुए 11 आरोपियों को पकड़ लिया। सभी आरोपी मूलतः उत्तर प्रदेश के निवासी हैं। इनके खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
सहायक वन रक्षक (एसीएफ) मंगेश ताटे ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया कि गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि वे मोर के पंखों को बेचने के लिए लाए थे और उनके पास कोई आधिकारिक अनुमति नहीं थी।
उन्होंने यह भी बताया कि श्री संत गाडगेबाबा धर्मशाला के कैंपस में उनके अन्य साथी मोर के पंखों का भंडारण कर रहे थे। इस सूचना के आधार पर वन विभाग ने वहां छापा मारा, जहां से लगभग 400 से 500 किलो मोर के पंख जब्त किए गए।
मंगेश ताटे ने कहा कि ये मोर के पंख उत्तर भारत से आए हैं। अभी यह पता लगाया जा रहा है कि कितने मोरों का शिकार किया गया है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि आरोपी ट्रेन से उत्तर भारत से पुणे आए थे। मोर हमारे देश का राष्ट्रीय पक्षी है, इसलिए इसका सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व बहुत है। ज्यादातर मोर के पंखों का उपयोग घरों की सजावट में किया जाता है।