क्या राहुल गांधी की बातें सच में मनोबल बढ़ाती हैं? सुखदेव भगत का बयान
सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी की बातें कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाती हैं।
- सुखदेव भगत ने राहुल गांधी को एक अभिभावक कहा।
- सरकार को चुनाव सुधार पर हठधर्मिता नहीं दिखानी चाहिए।
- शिवराज पाटिल के निधन पर शोक व्यक्त किया गया।
- कांग्रेस में नेतृत्व का महत्व निरंतर बना रहना चाहिए।
नई दिल्ली, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस सांसदों की बैठक बुलाने पर कहा कि वे हमेशा एक अभिभावक की भूमिका निभाते हैं। उनकी बातें कार्यकर्ताओं और नेताओं का मनोबल बढ़ाने का काम करती हैं।
राहुल गांधी ने शुक्रवार को संसद भवन एनेक्सी एक्सटेंशन बिल्डिंग में कांग्रेस के लोकसभा सांसदों की बैठक का आयोजन किया। इस पर सांसद सुखदेव भगत ने कहा, "राहुल गांधी हमेशा एक अभिभावक की भूमिका में रहते हैं। वे कांग्रेस के नए और पुराने लोगों को मार्गदर्शन देने का प्रयास करते हैं। उनकी बातें हमारे मनोबल को बढ़ाने का कार्य करती हैं। जब हमारे लीडर इस तरह की प्रेरणादायक बातें करते हैं तो यह हमारे लिए गर्व की बात है।"
राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने एसआईआर के मुद्दे पर भी विचार व्यक्त किए। उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा एसआईआर फॉर्म भरने से इनकार करने पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी।
भाजपा पर आरोप लगाते हुए सुखदेव भगत ने कहा, "जल्दबाजी का काम शैतान का होता है। इन चीजों को देखते हुए सरकार को हठधर्मिता नहीं दिखानी चाहिए। यदि सरकार वास्तव में चुनाव सुधार करना चाहती है, तो यह सही तरीके से चर्चा के बाद लाया जाना चाहिए।"
इसी बीच, पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल के निधन पर कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "वह निश्चित रूप से एक बहुत सीनियर और अनुशासित नेता थे। उनके जाने से हमें दुख हुआ है। जब इतने बड़े कद का कोई व्यक्ति, जिसने अपनी पूरी जिंदगी किसी महान काम के लिए लगा दी हो, हमें छोड़कर जाता है, तो बहुत दुख होता है। हमारी गहरी संवेदनाएं पूरे परिवार के साथ हैं।"
कांग्रेस के सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने भी शिवराज पाटिल के निधन पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि उनके जाने से देश ने एक बड़ा नेता खो दिया है। वह दूरदर्शी व्यक्ति थे। उन्होंने कहा, "मैंने मंत्रिमंडल में 2004 से 2009 तक उनके साथ काम किया। उन्होंने कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारियों को संभाला, जिनसे हमें प्रेरणा भी मिलती है।"