क्या भाजपा न्यायपालिका को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश कर रही है: शिवसेना (यूबीटी)?

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क्या भाजपा न्यायपालिका को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश कर रही है: शिवसेना (यूबीटी)?

सारांश

क्या भाजपा न्यायपालिका को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश कर रही है? शिवसेना (यूबीटी) ने इस मुद्दे पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसमें अदालतों के निर्णयों के पीछे की राजनीति का खुलासा किया गया है।

Key Takeaways

  • भाजपा न्यायपालिका पर दबाव डालने का प्रयास कर रही है।
  • जस्टिस स्वामीनाथन पर भाजपा से प्रभावित होने का आरोप है।
  • अदालतों की निष्पक्षता पर सवाल उठाए गए हैं।
  • धार्मिक तनाव के मुद्दे पर अदालतें सक्रिय हैं।
  • महाभियोग प्रस्ताव लाया गया है।

मुंबई, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना (यूबीटी) ने अपने मुखपत्र सामना के माध्यम से भाजपा पर एक बार फिर से कड़ा प्रहार किया है। संपादकीय में शिवसेना (यूबीटी) ने आरोप लगाया है कि भाजपा न्यायपालिका को अपने पक्ष में मोड़ने के लिए प्रयासरत है और संवैधानिक मुद्दों पर अदालतों का रुख बदलने की कोशिश कर रही है।

संपादकीय में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट दलबदल, भ्रष्टाचार और विधायकों की खरीद-फरोख्त जैसे गंभीर संवैधानिक मुद्दों पर निर्णय देने में पीछे हटता दिखता है, जबकि धार्मिक तनाव बढ़ाने वाली याचिकाओं पर अदालतें असामान्य रूप से सक्रिय हैं। शिवसेना (यूबीटी) का आरोप है कि भाजपा अदालतों और चुनाव आयोग पर दबाव डालकर हिंदुत्व के मुद्दों को अपनी सुविधानुसार मोड़ रही है।

संपादकीय के अनुसार, जस्टिस स्वामीनाथन का मामला हिंदुत्व की राजनीति को नए तरीके से भड़काने का कार्य कर रहा है। संपादकीय में जज जस्टिस जीआर स्वामीनाथन पर आरोप लगाया गया है कि वे भाजपा की विचारधारा से प्रभावित हैं और उनकी अदालत में उपस्थिति लोकतंत्र और संविधान के लिए खतरा बनती जा रही है। सर्वोच्च, उच्च और जिला अदालतों में ऐसे कई न्यायाधीश नियुक्त किए जा रहे हैं जो एक विशेष राजनीतिक विचारधारा के करीब माने जाते हैं।

संपादकीय में यह भी कहा गया है कि विपक्ष पहले ही मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव ला चुका है, जिस पर सौ से अधिक सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। वहीं भाजपा के नेताओं (अमित शाह और देवेंद्र फडणवीस) ने इस कदम को गलत बताते हुए शिवसेना के सांसदों की आलोचना की है।

सामना के संपादकीय में यह सवाल उठाया गया है कि यदि कोई न्यायाधीश हिंदुत्ववादी विचारधारा से जुड़ा है तो क्या यह उसे महाभियोग से बचाने का आधार बन सकता है? अदालत में जाति, धर्म और संप्रदाय को तूल देना न्यायिक परंपराओं के विरुद्ध है और वर्तमान सरकार में न्यायपालिका के कई परंपरागत प्रतीक कमजोर हुए हैं।

शिवसेना (यूबीटी) ने यह भी दावा किया है कि संघ परिवार भारत में धार्मिक तनाव बढ़ाकर राजनीतिक लाभ उठाने की रणनीति पर काम कर रहा है। संपादकीय में कहा गया है कि चुनावों से पहले योजनाबद्ध तरीके से विवाद खड़े किए जाते हैं, फिर उन मामलों को अदालतों में ले जाकर मनचाहे फैसले प्राप्त किए जाते हैं। स्वामीनाथन का हालिया फैसला भी इसी रणनीति का हिस्सा बताया गया है, जिससे 'मंदिर बनाम दरगाह' जैसा नया विवाद खड़ा हुआ है।

सामना के संपादकीय के अनुसार, किसी भी न्यायाधीश से अपेक्षा होती है कि वह संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के अनुरूप निर्णय दे, लेकिन स्वामीनाथन पर आरोप है कि वे संघ की विचारधारा से प्रभावित हैं और उसी आधार पर निर्णय सुनाते हैं। कई पूर्व न्यायाधीश भी उनकी कार्यशैली पर आपत्ति जता चुके हैं।

संपादकीय में यह भी कहा गया है कि हिंदुओं की पूजा-पद्धति पर किसी का हस्तक्षेप नहीं है, इसलिए अन्य धर्मों की भावनाओं को चोट पहुंचाने की कोई आवश्यकता नहीं। मंदिर के पास दरगाह या मस्जिद होना कोई नई बात नहीं है और ऐसी स्थितियों में अदालत से संयमित निर्णय की अपेक्षा की जाती है। यदि अदालतें किसी धार्मिक संगठन की इच्छा के अनुरूप फैसले सुनाने लगेंगी, तो भविष्य में बड़े विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।

Point of View

यह स्पष्ट है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता बेहद महत्वपूर्ण है। किसी भी राजनीतिक दल को न्यायपालिका पर दबाव डालने का प्रयास नहीं करना चाहिए। यह लोकतंत्र की आत्मा के लिए खतरा है। न्यायपालिका का कार्य संविधान की रक्षा करना है और इसे राजनीतिक स्वार्थों से ऊपर रखा जाना चाहिए।
NationPress
12/12/2025

Frequently Asked Questions

क्या भाजपा न्यायपालिका को प्रभावित कर रही है?
शिवसेना (यूबीटी) का आरोप है कि भाजपा न्यायपालिका को अपने पक्ष में मोड़ने का प्रयास कर रही है।
जस्टिस स्वामीनाथन पर क्या आरोप हैं?
जस्टिस स्वामीनाथन पर आरोप है कि वे भाजपा की विचारधारा से प्रभावित हैं।
शिवसेना का संपादकीय किस पर केंद्रित है?
संपादकीय भाजपा की न्यायपालिका में संभावित हस्तक्षेप और धार्मिक विवादों पर केंद्रित है।
क्या अदालतें राजनीतिक दबाव में निर्णय ले रही हैं?
शिवसेना का आरोप है कि अदालतें धार्मिक तनाव बढ़ाने वाली याचिकाओं पर सक्रिय हैं।
महाभियोग प्रस्ताव किसके खिलाफ लाया गया है?
महाभियोग प्रस्ताव मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ लाया गया है।
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