क्या पंजाब में पिछली सरकारों ने बेअदबी की घटनाओं पर कोई एक्शन नहीं लिया? : अमन अरोड़ा

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क्या पंजाब में पिछली सरकारों ने बेअदबी की घटनाओं पर कोई एक्शन नहीं लिया? : अमन अरोड़ा

सारांश

पंजाब में बेअदबी के खिलाफ विधेयक की विफलता पर कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने पिछली सरकारों पर गंभीर आरोप लगाए। जानें, क्या है इस मुद्दे की सच्चाई और कैसे विपक्षी नेता अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रहे हैं।

Key Takeaways

  • पंजाब विधानसभा में बेअदबी के खिलाफ विधेयक पारित नहीं हुआ।
  • अमन अरोड़ा ने पिछली सरकारों की आलोचना की।
  • कोटकपूरा की घटना पर एसआईटी की भूमिका विवादित है।
  • सरकार अब लीगल ऑप्शन अपनाएगी।
  • सुप्रीम कोर्ट ने 1158 असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती रद्द की।

चंडीगढ़, 15 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। पंजाब विधानसभा में बेअदबी के विरोध में प्रस्तुत किया गया विधेयक पारित नहीं हो सका। अब इस बिल को सर्वसम्मति से प्रवर समिति के पास भेजा गया है। कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने कांग्रेस पार्टी और विपक्षी दलों की तीखी आलोचना की और कहा कि पिछली सरकारों ने बेअदबी की घटनाओं पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए।

अमन अरोड़ा ने सत्र के दौरान सदन में आकर मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि यह स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस पार्टी और विपक्ष के नेता सरदार प्रताप सिंह बाजवा पिछले कई दिनों से गुरु ग्रंथ साहब जी की बेअदबी, बहबलकला में गोलीबारी और बरगाड़ी में लाठीचार्ज के मामलों पर झूठ बोल रहे हैं और 'आप' सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं। पिछली सरकारों ने इस पर कुछ नहीं किया। जब वर्ष 2022 में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार सत्ता में आई, तो चालान अदालत में पेश किया गया।

कोटकपूरा की घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि एसआईटी ने 2019-2021 तक चार चालान जारी किए थे। उस समय बादल सरकार थी। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में उस घटना पर अपनी भूमिका का उल्लेख नहीं किया है। जिस तरह से उन्हें इससे बचाया गया। हमारी एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, सुमेध सिंह सैनी और अन्य पांच लोगों का नाम लिया था।

उन्होंने कहा कि प्रताप सिंह बाजवा ने यह कहकर ध्यान भटकाने की कोशिश की है कि कोटकपूरा की रिपोर्ट के अनुसार मामला उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी सरकार ने बादलों को संरक्षण दिया है।

मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने कहा कि सरकार ने धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के खिलाफ विधानसभा में विधेयक पेश किया, जिस पर सदन में चर्चा हुई। सार्थक चर्चा के बाद इसे कमेटी को भेजा गया है, जो इस बिल पर अपनी फाइंडिंग देंगे। इसके बाद कानून बनेगा।

वहीं, 1158 असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह भर्ती पूर्व की सरकार में हुई थी, जिस पर बहुत से ऑब्जेक्शन उठे थे। इसके बाद भी सरकार ने इसे रद्द नहीं किया, 2022 में यह भर्ती रिजेक्ट हो गई थी। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में इसे ठीक करके हम एक याचिका के माध्यम से गए थे। हाईकोर्ट ने भर्ती को प्रभावी कर दिया था। इसके बाद सभी को भर्ती किया गया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इसे रद्द करते हुए राजनीति से प्रेरित बताया है, अब पंजाब सरकार लीगल ऑप्शन अपनाएगी।

Point of View

यह स्पष्ट है कि बेअदबी की घटनाओं पर पिछले प्रशासन की निष्क्रियता से समाज में असंतोष बढ़ा है। वर्तमान सरकार को अब एक सशक्त कदम उठाना होगा ताकि न्याय की प्रक्रिया को गति मिल सके।
NationPress
20/07/2025

Frequently Asked Questions

क्या पंजाब में बेअदबी के खिलाफ कोई नया विधेयक लाया गया है?
हाँ, पंजाब विधानसभा में बेअदबी के खिलाफ एक नया विधेयक पेश किया गया था, लेकिन यह पारित नहीं हो सका।
कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने पिछली सरकारों पर क्या आरोप लगाया?
उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने बेअदबी की घटनाओं पर कोई एक्शन नहीं लिया।
कोटकपूरा की घटना में एसआईटी की क्या भूमिका थी?
एसआईटी ने 2019-2021 के बीच चार चालान जारी किए, लेकिन अपनी रिपोर्ट में घटना की भूमिका का उल्लेख नहीं किया।
पंजाब सरकार अब इस मुद्दे पर क्या कदम उठाएगी?
पंजाब सरकार इस मामले में लीगल ऑप्शन अपनाएगी और इसे उच्च न्यायालय में ले जाने की योजना बना रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के मामले में क्या निर्णय दिया?
सुप्रीम कोर्ट ने भर्ती को रद्द कर दिया और इसे राजनीति से प्रेरित बताया।