क्या पहले दुनिया भर के बच्चे शिक्षा ग्रहण करने बिहार आते थे, आज यहां के बच्चे पढ़ने विदेश जाते हैं? : राहुल गांधी
                                सारांश
Key Takeaways
- बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है।
 - रोजगार के अवसर बढ़ाने की जरूरत है।
 - पेपर लीक की समस्या को संबोधित किया जाना चाहिए।
 - महागठबंधन की सरकार बनाने की आवश्यकता।
 - नफरत फैलाने से मोहब्बत की दुकान की ओर बढ़ना चाहिए।
 
औरंगाबाद, 4 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आज औरंगाबाद में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए केंद्र और प्रदेश की एनडीए सरकार पर कड़ा हमला किया।
उन्होंने बिहार में शिक्षा व्यवस्था की खराब स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा कि पहले विश्वभर के बच्चे शिक्षा ग्रहण करने बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय आते थे, लेकिन अब यहां के बच्चे पढ़ाई के लिए विदेश जाते हैं। यह बिहार का इतिहास है। बिहार सरकार आपकी मदद नहीं करना चाहती है।
उन्होंने कहा कि आज बिहार के लोग जहां भी जाते हैं, वहीं मजदूरी करने पर मजबूर हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर उन्होंने युवाओं को मजदूर बनाने का आरोप लगाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डेटा सस्ते होने संबंधी बयान पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि आज डेटा नहीं, रोजगार की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री चाहते हैं कि आप रील्स बनाएं, लेकिन पेपर चोरी या रोजगार की बात न पूछें। उन्होंने कहा कि बिहार के युवाओं को नया नशा दिया जा रहा है। जैसे ड्रग्स या शराब होती हैं, वैसे ही यह 21वीं सदी का नशा है कि आप 24 घंटे रील्स देखते रहो। पीएम को यह बताना चाहिए कि पेपर लीक कब बंद होगा और अच्छे अस्पताल कब खुलेंगे।
कांग्रेस के नेता ने कहा कि बिहार के मरीज इलाज के लिए दिल्ली जाते हैं। उन्होंने सेना में अग्निवीर को लेकर भी सवाल उठाते हुए कहा कि सेना में भी लोगों का रास्ता बंद कर दिया गया। सरकारी कंपनियों का निजीकरण कर दिया गया है। अब बिहार में पेपर लीक हो रहा है। यहां पढ़ाई करने का कोई मतलब नहीं है।
उन्होंने कहा कि महागठबंधन की जो सरकार बनेगी, वह बिहार के लोगों की सरकार होगी। अति पिछड़ों के आरक्षण के लिए एक विशेष मैनिफेस्टो तैयार किया गया है। उन्होंने वोट चोरी की चर्चा करते हुए कहा कि भाजपा जानती है कि यहां वे जीत नहीं सकते। वोट चोरी का मतलब है अधिकार खत्म करना।
उन्होंने कहा कि हम सभी चाहते हैं कि बिहार में रोजगार का सृजन हो। हमारी कोशिश है कि सभी मोबाइल फोन के पीछे 'मेड इन बिहार' लिखा रहे। हम सब को साथ लेकर चलना चाहते हैं। हम मोहब्बत की दुकान चाहते हैं जबकि ये लोग नफरत फैलाना चाहते हैं।