क्या राहुल गांधी लोकतंत्र को बचाने के लिए बिहार गए हैं?

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी की बिहार यात्रा लोकतंत्र को बचाने की कोशिश है।
- प्रमोद तिवारी का बयान जनसमर्थन को दर्शाता है।
- बिहार को लोकतंत्र की जननी माना जाता है।
- पुरानी गाड़ियों के मुद्दे पर उचित निर्णय की आवश्यकता है।
- दिल्ली सरकार के फैसले का विरोध हो रहा है।
नई दिल्ली, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बिहार दौरे पर पार्टी के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि बिहार लोकतंत्र की जननी है और इसे बचाने के लिए राहुल गांधी खुद बिहार गए हैं।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "लोकतंत्र को बचाने के लिए राहुल गांधी का यह कदम बेहद जरूरी है। बिहार लोकतंत्र की नींव है। वहां से आ रही खबरों के अनुसार, प्रदर्शन बहुत सफल रहा है। जो लोग इसमें शामिल नहीं हैं, वे भी इस लड़ाई में हमारा समर्थन कर रहे हैं। यह एक डरी, सहमी, जाती हुई सरकार का घिनौना प्रयास है, जैसा कि उन्होंने हरियाणा और महाराष्ट्र में किया था। मैं बस यही कहूंगा कि राहुल गांधी लोकतंत्र के लिए निकले हैं और इस प्रयास में जन-जन का समर्थन है।"
उन्होंने आगे कहा, "मैं पूछना चाहता हूं कि चुनाव आयोग के सहारे वे आधार कार्ड को क्यों स्वीकार नहीं कर रहे हैं? इसका मतलब यह है कि जिस तरह से वे लोकतंत्र की हत्या करने जा रहे हैं, हम उनका मुकाबला पूरी ताकत से करेंगे। हम लोकतंत्र की हत्या नहीं होने देंगे।"
कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने दिल्ली में पुरानी गाड़ियों के मुद्दे पर कहा, "गाड़ी की उम्र से नहीं, उसकी स्थिति से आंका जाना चाहिए। मैं कई लोगों को जानता हूं। आज मैंने कुछ बयान देखे हैं। कई लोगों की गाड़ियों की उम्र 10 साल पूरी हो गई, लेकिन उन्होंने केवल 5 हजार, 7 हजार या 10 हजार किलोमीटर चलाए हैं। उनकी स्थिति एकदम बढ़िया है, जबकि कई गाड़ियां अधिक प्रदूषण फैला रही हैं। उनकी जांच होनी चाहिए। जांच के बाद उन्हें मंजूरी दी जाए। केवल उम्र के आधार पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए।"
उन्होंने आगे कहा, "दिल्ली में जो हो रहा है, उसे लूट और डकैती ही कहा जाएगा। हम दिल्ली सरकार के फैसले का विरोध करते हैं। गाड़ियों की स्थिति पर फैसला होना चाहिए, न कि उनकी उम्र के आधार पर।"