क्या राहुल गांधी की 'वोटर अधिकार यात्रा' को जनता का समर्थन मिलेगा?

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी की यात्रा बिहार के सासाराम से शुरू हुई है।
- महिलाओं की सुरक्षा और महंगाई जैसे मुद्दों पर जोर दिया जा रहा है।
- शिवसेना का चुनाव चिन्ह तीर-धनुष है।
- अल्पसंख्यकों को समान अधिकार देने की बात की गई है।
- यात्रा का उद्देश्य मतदान में धोखाधड़ी के खिलाफ जागरूकता बढ़ाना है।
मुंबई, 17 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी बिहार में 'वोटर अधिकार यात्रा' का आयोजन कर रहे हैं, जिस पर शिवसेना ने व्यापक प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
शिवसेना यूबीटी के प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि राहुल गांधी समय-समय पर यात्रा करते हैं, जैसे हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और स्वामी विवेकानंद भी करते थे। राहुल गांधी की जन आशीर्वाद यात्रा ने लोगों को एकजुट किया और भारत को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा और महंगाई जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की। चुनाव आयोग को अपना मित्र बनाकर मतदान में धोखाधड़ी के खिलाफ उन्होंने अपनी आवाज उठाई है। इस यात्रा का आरंभ बिहार के सासाराम से हुआ है और विश्वास है कि जनता का समर्थन मिलने पर यह यात्रा मजबूत और सफल होगी। इसके अलावा, अन्य राजनीतिक दल भी इसमें शामिल होने की संभावना है।
उन्होंने आगे कहा कि राहुल गांधी ने एक चोर को चोरी करते हुए पकड़ लिया है और अब वही “चोर मचाए शोर” की स्थिति है। जब सच्चाई सार्वजनिक रूप से सामने आएगी, तब भाजपा क्या कहेगी? भाजपा का चरित्र अपने विरोधियों को समाप्त करना और लोकतंत्र की हत्या करना है। राहुल गांधी ने केवल सच को उजागर किया है।
आनंद दुबे ने कहा कि असली शिवसेना का चुनाव चिन्ह तीर-धनुष और नाम शिवसेना है। हम सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं, जिसमें कई बार तारीखों पर टाल-मटोल हुई। पूरी दुनिया और भारत जानता है कि शिवसेना बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित पार्टी है और जनता, कार्यकर्ता व संगठनों ने इसे स्वीकार किया है। अब हम आगामी तारीख पर अपना चुनाव चिन्ह और नाम पाने की उम्मीद करते हैं ताकि जनता के बीच अपनी पहचान मजबूत कर सकें और पुरानी बातें दोहरा सकें।
आनंद दुबे ने कहा कि उत्तराखंड सरकार का अल्पसंख्यकों को सुविधाएं देने का निर्णय स्वागत योग्य है। पहले इन सुविधाओं को केवल मुसलमानों तक सीमित माना जाता था, लेकिन वास्तव में जैन, सिख, ईसाई, पारसी और अन्य समुदाय भी अल्पसंख्यक हैं। सभी समुदायों को समान रूप से अधिकार और लाभ मिलने चाहिए।