क्या राहुल गांधी ने खालिदा जिया के निधन पर शोक व्यक्त किया? बांग्लादेश की राजनीतिक यात्रा में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका
सारांश
Key Takeaways
- खालिदा जिया का निधन बांग्लादेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना है।
- राहुल गांधी ने उनके योगदान की सराहना की है।
- उनका इलाज एक विशेष चिकित्सा टीम द्वारा किया जा रहा था।
- बांग्लादेश की राजनीति में उनके योगदान को याद किया जाएगा।
- उनकी स्थिति पिछले कुछ वर्षों में गंभीर रही।
नई दिल्ली, 30 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष बेगम खालिदा जिया का मंगलवार सुबह निधन हो गया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया और उनके परिवार, समर्थकों तथा बांग्लादेश के लोगों के प्रति अपनी संवेदनाएं भेजीं।
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "मैं बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया के निधन से अत्यंत दुखी हूं। उन्होंने अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में बांग्लादेश की राजनीतिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके परिवार, समर्थकों और बांग्लादेश के लोगों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं।"
इसी बीच, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी खालिदा जिया के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने अपनी एक्स पोस्ट में लिखा, "इंडियन नेशनल कांग्रेस की ओर से, मैं बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। उनके लंबे सार्वजनिक जीवन में, उन्होंने देश की राजनीतिक यात्रा को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके परिवार, समर्थकों और बांग्लादेश के लोगों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं।"
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के अनुसार, खालिदा जिया का निधन मंगलवार सुबह करीब 6 बजे हुआ। उन्होंने ढाका के एवरकेयर अस्पताल में आखिरी सांस ली, जहां पिछले एक महीने से उनका इलाज चल रहा था। पार्टी के बयान में बताया गया कि फज्र की नमाज के तुरंत बाद उनका इंतकाल हुआ। खालिदा जिया के निधन की सूचना के बाद देश की राजनीति में शोक की लहर दौड़ गई।
सूत्रों के अनुसार, 23 नवंबर को दिल और फेफड़ों की गंभीर समस्याओं के कारण उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद उनकी तबीयत में लगातार उतार-चढ़ाव आया। बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अंतिम दिनों में वह निमोनिया से भी जूझ रही थीं और लगभग 36 दिनों तक डॉक्टरों की कड़ी निगरानी में रहीं। इस दौरान उनकी स्थिति नाजुक बनी रही।
पिछले कुछ वर्षों से खालिदा जिया कई पुरानी बीमारियों से परेशान थीं। उनके इलाज के लिए एक विशेष चिकित्सा टीम का गठन किया गया था, जिसमें बांग्लादेश के साथ-साथ ब्रिटेन, अमेरिका, चीन और ऑस्ट्रेलिया के डॉक्टर शामिल थे।
इस महीने उन्हें बेहतर चिकित्सा के लिए विदेश ले जाने पर भी चर्चा हुई थी, लेकिन डॉक्टरों की सलाह पर यह योजना रद्द कर दी गई। डॉक्टरों ने कहा कि उनकी स्थिति इतनी कमजोर थी कि वह अंतरराष्ट्रीय यात्रा करने में असमर्थ थीं।