क्या राजस्थान में बैल पालन के लिए 30,000 रुपए की मदद शुरू हुई है?

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क्या राजस्थान में बैल पालन के लिए 30,000 रुपए की मदद शुरू हुई है?

सारांश

राजस्थान में बैल पालन को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने 30,000 रुपए की आर्थिक सहायता योजना की शुरुआत की है। इस योजना का उद्देश्य पारंपरिक खेती को प्रोत्साहित करना और किसानों को राहत देना है। जानिए इस योजना के तहत क्या-क्या सुविधाएँ दी जा रही हैं।

Key Takeaways

  • मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने बैल पालन के लिए 30,000 रुपए की सहायता शुरू की है।
  • यह योजना पारंपरिक खेती को बढ़ावा देने के लिए है।
  • किसान बायोगैस संयंत्र लगाने के लिए भी सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं।
  • 42,000 से अधिक आवेदन पोर्टल पर प्राप्त हुए हैं।
  • सरकार ने किसान डेटा बेस तैयार किया है।

जयपुर, 21 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने राज्य में पारंपरिक खेती के तरीकों और मवेशियों के संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए एक नई योजना का शुभारंभ किया है।

इस योजना के अंतर्गत, सरकार उन छोटे और सीमांत किसानों को हर वर्ष 30,000 रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी, जो बैलों का उपयोग करके खेती करते रहेंगे।

इस पहल का उद्देश्य पारंपरिक और प्राकृतिक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना, मवेशियों के संरक्षण में सहायता करना और आर्थिक रूप से कमजोर किसान वर्ग को राहत प्रदान करना है।

अधिकारियों के अनुसार, आधुनिक कृषि उपकरणों के तेजी से बढ़ते उपयोग के कारण पिछले कुछ वर्षों में बैलों का उपयोग कम होता जा रहा है। इस बदलाव ने न केवल देसी मवेशियों की नस्लों की मांग में कमी लाई है, बल्कि उनके संरक्षण पर भी नकारात्मक प्रभाव डाला है।

सरकार का मानना है कि इस प्रोत्साहन के माध्यम से बैलों की भूमिका खेती में फिर से स्थापित होगी, मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि होगी, रासायनिक खादों पर निर्भरता घटेगी और पर्यावरण की रक्षा होगी।

आर्थिक सहायता के अतिरिक्त, राज्य सरकार खेतों में बायोगैस संयंत्र स्थापित करने के लिए भी सब्सिडी प्रदान करेगी। बायोगैस को अपनाकर किसान अपनी ईंधन और इनपुट लागत को कम कर सकते हैं, स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग बढ़ा सकते हैं, और सीधे अपने खेतों में प्राकृतिक खाद बना सकते हैं।

अधिकारियों ने बताया कि इससे प्राकृतिक खेती की पद्धतियों को बढ़ावा मिलेगा और कृषि की समग्र उत्पादकता में सुधार होगा।

कृषि विभाग अभी उन किसानों का डाटाबेस तैयार कर रहा है जो बैलों का उपयोग करते हैं, जिसके आधार पर पात्र लाभार्थियों की पहचान की जाएगी। विभाग यह सुनिश्चित करने के लिए फील्ड वेरिफिकेशन भी कर रहा है कि केवल बैलों से खेती करने वाले असली किसानों को ही सहायता मिले।

इस पहल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा राज किसान साथी पोर्टल है, जो खेती की योजनाओं और किसान सेवाओं के लिए राज्य सरकार का एक समर्पित डिजिटल प्लेटफॉर्म है। यह पोर्टल किसानों को विभिन्न योजनाओं के लिए पंजीकरण, आवेदन स्थिति ट्रैकिंग, सलाह प्राप्त करने, और कृषि विभाग से समय पर अपडेट पाने में मदद करता है।

अधिकारियों के अनुसार, राज किसान साथी पोर्टल पर 42,000 से अधिक आवेदन प्राप्त हो चुके हैं, जिनमें सबसे अधिक डूंगरपुर, बांसवाड़ा, और उदयपुर जिलों से हैं। ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया जारी है।

Point of View

बल्कि यह पारंपरिक कृषि पद्धतियों को भी पुनर्जीवित करने का एक प्रयास है। राजस्थान में बैल पालन को बढ़ावा देकर, सरकार कृषि क्षेत्र में स्थिरता और पर्यावरणीय संतुलन को सुनिश्चित कर सकती है।
NationPress
26/11/2025

Frequently Asked Questions

इस योजना का लाभ कौन उठा सकता है?
इस योजना का लाभ छोटे और सीमांत किसानों को मिलेगा, जो बैलों का उपयोग करके खेती करते हैं।
सरकार इस पहल के तहत क्या-क्या सुविधाएँ दे रही है?
सरकार हर साल 30,000 रुपए की सहायता और बायोगैस संयंत्र लगाने के लिए सब्सिडी प्रदान कर रही है।
किसानों को आवेदन कैसे करना है?
किसान राज किसान साथी पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
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