क्या एसआईआर प्रक्रिया एक मजबूत लोकतंत्र के लिए सकारात्मक कदम है?: आनंद परांजपे
सारांश
Key Takeaways
- आनंद परांजपे ने एसआईआर प्रक्रिया को लोकतंत्र के लिए सकारात्मक कदम बताया।
- ममता बनर्जी का इस प्रक्रिया पर विरोध है।
- वोटर लिस्ट को सही करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
- अजीत पवार के इस्तीफे की मांग को निंदनीय बताया गया।
- क्रिकेट में राजनीति से बचने की सलाह दी गई।
मुंबई, 26 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी चुनाव आयोग द्वारा राज्य में लागू की जा रही एसआईआर प्रक्रिया का लगातार विरोध कर रही हैं। इसी संदर्भ में एनसीपी के नेता आनंद परांजपे ने ममता बनर्जी पर तीखा हमला किया है। उनका कहना है कि विपक्ष ने हमेशा वोटर लिस्ट के बारे में सवाल उठाए हैं। चुनाव आयोग ममता बनर्जी और अन्य विपक्षी दलों की मांग पर एसआईआर कर रहा है, जो एक मजबूत लोकतंत्र को सुदृढ़ करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
आनंद परांजपे ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि विपक्ष निरंतर वोटर लिस्ट की खामियों पर प्रश्न उठाता रहा है। इन लिस्ट में कोई त्रुटि नहीं होनी चाहिए और इसके लिए सेंट्रल इलेक्शन कमीशन (ईसीसी) पर लगातार आरोप लगाए जाते रहे हैं। अब, ईसीसी 12 राज्यों में वोटर लिस्ट को सही से पुनः बनाने के लिए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) लागू कर रहा है। क्या हमें इस पहल का विरोध करना चाहिए या इसका स्वागत करना चाहिए? पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री, जो एक संवैधानिक पद पर हैं, उन्हें इस मामले पर बयान देने से पहले ध्यानपूर्वक विचार करना चाहिए। चुनाव आयोग उनके कहने पर यह एसआईआर कर रहा है। इस प्रक्रिया से वोटर लिस्ट को ठीक से अपडेट किया जाएगा और मौजूदा कमियों को दूर किया जाएगा। यह एक मजबूत लोकतंत्र को और मजबूत करने के लिए एक सकारात्मक कदम है।
आनंद परांजपे ने अंजलि दमानिया द्वारा उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को इस्तीफा देने के बयान को निंदनीय बताया है। उन्होंने कहा कि मैं आज सामाजिक कार्यकर्ता और जानी-मानी हस्ती अंजलि दमानिया का उल्लेख करना चाहूंगा। उन्होंने राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार से 24 घंटे के भीतर इस्तीफा मांगा है। महाराष्ट्र कैबिनेट में कौन मंत्री बनेगा और कौन नहीं, यह पूरी तरह से राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास है। लेकिन दुर्भाग्य से आज संविधान दिवस पर एक बहुत ही दुखद स्थिति उत्पन्न हो गई है। जब पूज्य डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर ने इस देश को अपना संविधान दिया और भारत का लोकतंत्र उस सबसे बड़े संविधान के अनुसार चलता है। इसी संविधान के अनुसार जनता ने महायुति की सरकार को चुना है। वहीं, संवैधानिक पद पर आसीन उपमुख्यमंत्री को 24 घंटे में इस्तीफा देने की चेतावनी दी गई है। यह लोकतंत्र के खिलाफ है, मैं इसका विरोध करता हूं। लोकतंत्र में उन्हें आरोप लगाने का अधिकार है। इस प्रकार की भाषा का उपयोग दुर्भाग्यपूर्ण है।
आनंद परांजपे ने एक सवाल के जवाब में कहा कि इजराइल के प्रधानमंत्री का ट्वीट अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बहुत महत्वपूर्ण है। 2014 से पहले, भारत की छवि एक ऐसे देश की थी जो बार-बार आतंकवादी हमलों से परेशान रहता था। लेकिन, 2014 के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व में यह सोच बदल गई है। आज भारत न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा करना जानता है, बल्कि उन्हें पार करके आतंकवादी केंद्रों को खत्म करने की क्षमता भी रखता है। यह शक्ति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व का प्रमाण है, जिसे इजरायली प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में स्वीकार किया है। यह आज की वैश्विक राजनीति में भारत की मजबूत और महत्वपूर्ण स्थिति को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
टी20 वर्ल्ड कप के शेड्यूल को लेकर विवाद शुरू हो गया है। शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे ने फाइनल मैच के लिए अहमदाबाद को प्राथमिक स्थल बनाए जाने पर आईसीसी पर पक्षपात का आरोप लगाया है। इस पर आनंद परांजपे ने कहा कि क्रिकेट पर राजनीति उचित नहीं है। आदित्य ठाकरे को मेरी सलाह है कि जब कोई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट होता है, तो उसमें आईसीसी और बीसीसीआई की भूमिका होती है। वहीं, स्थल का निर्धारण दोनों संस्थाएं करती हैं। इसमें न तो केंद्र और न ही राज्य का हस्तक्षेप होता है।