क्या भारत को यूएनएससी में स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए?: उज्ज्वल निकम
सारांश
Key Takeaways
- भारत को यूएनएससी में स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए।
- पाकिस्तान ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
- अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाने की जरूरत है।
- संयुक्त राष्ट्र के ढांचे में बदला करना आवश्यक है।
- भारत एक मजबूत लोकतंत्र है।
मुंबई, 26 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मुंबई हमले की बरसी के अवसर पर भाजपा सांसद उज्ज्वल निकम ने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में 26 नवंबर का दिन एक काले इतिहास के रूप में अंकित है। इस हमले में 160 से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई। पाकिस्तान को ठोस सबूत देने के बावजूद, अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिससे भारत अभी तक मास्टरमाइंड तक नहीं पहुंच पाया है।
26/11 के आतंकवादी हमले की 17वीं बरसी पर राज्यसभा सदस्य उज्ज्वल निकम ने कहा कि भले ही आतंकवादी अजमल कसाब को फांसी पर लटका दिया गया हो, लेकिन इस भीषण हमले की साजिश रचने वाले मास्टरमाइंड तक भारत अब भी नहीं पहुंच पाया है। उन्होंने कहा कि इस त्रासदी को हुए लगभग 17 वर्ष बीत चुके हैं, फिर भी पाकिस्तान ने साजिशकर्ताओं के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
निकम ने कहा कि जब मुंबई की विशेष अदालत में डेविड हेडली की गवाही दर्ज की गई थी, तब भारत सरकार ने सभी सबूत पाकिस्तान को भेजे थे, जिससे हमले की साजिश का पूरा खाका स्पष्ट होता था। इसके बावजूद पाकिस्तान ने किसी साजिशकर्ता पर कार्रवाई नहीं की।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर भी असंतोष व्यक्त किया। निकम ने कहा कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों पर अंकुश लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र को सख्त कदम उठाने चाहिए थे, लेकिन वह ऐसा करने में असफल रहा है। उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद से सबसे अधिक प्रभावित देशों में से एक है, और इसलिए भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए।
निकम ने कहा कि यदि भारत सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनेगा, तो आतंकवाद को पनाह देने वाले देशों के खिलाफ निर्णायक कदम उठाने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर प्रभाव पड़ेगा और दुनिया में भारत एक मिसाल के रूप में उभरेगा।
सांसद ने संयुक्त राष्ट्र के ढांचे में बदलाव की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि बदलते समय के साथ संयुक्त राष्ट्र के संविधान में संशोधन होना चाहिए। जिन पांच देशों को स्थायी सीटें दी गई थीं, वह व्यवस्था आज के दौर के अनुरूप नहीं है। जो देश आधुनिक हैं, कानून के राज में विश्वास रखते हैं और मजबूत लोकतांत्रिक ढांचे में काम करते हैं, उन्हें सुरक्षा परिषद में जगह मिलनी चाहिए। भारत निश्चित रूप से ऐसा ही देश है।”