क्या राजस्थान में विरोध करने का अधिकार खत्म हो गया है? : टीकाराम जूली

सारांश
Key Takeaways
- राजस्थान में विरोध की आवाजें दबाई जा रही हैं।
- सरकार की तानाशाही प्रवृत्तियां चिंताजनक हैं।
- शिक्षण संस्थानों में राजनीति का दखल बढ़ रहा है।
- संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।
- जनता को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहने की आवश्यकता है।
जयपुर, 1 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस नेता टीकाराम जूली ने बुधवार को राजस्थान सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि प्रदेश में किसी को भी विरोध करने का अधिकार नहीं रह गया है।
उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से चर्चा के दौरान कहा कि प्रदेश की स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि यदि कोई विरोध करने की कोशिश करता है, तो तुरंत उसकी आवाज को दबाने का प्रयास किया जाता है। उनकी बातों को अनसुना कर दिया जाता है। इस प्रकार की स्थिति को प्रदेश में किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अब तानाशाही पर उतारू हो चुकी है। इस सरकार का जनता के हितों से अब कोई सरोकार नहीं रह गया है। ये लोग लोकतंत्र को समाप्त करना चाहते हैं। लेकिन, मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि जब तक हमारे जैसे नेता प्रदेश में हैं, तब तक हम जनता के हितों पर किसी भी प्रकार का कुठाराघात नहीं होने देंगे।
इसके साथ ही, उन्होंने प्रदेश के शिक्षण संस्थानों का उल्लेख करते हुए कहा कि ये संस्थान पढ़ाई के लिए होते हैं। लेकिन, अफसोस की बात है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता इसे राजनीति का अड्डा बनाने पर तुले हुए हैं और जब छात्रों ने इसका विरोध किया, तो आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने गुंडागर्दी शुरू कर दी। इतना ही नहीं, इन लोगों ने छात्रों पर लाठी-डंडे भी चलाए, और हैरानी की बात यह है कि घटनास्थल पर मौजूद पुलिस ने कुछ नहीं किया। पुलिस इस पूरे घटनाक्रम को मूकदर्शक बनकर देख रही थी। ऐसी स्थिति में पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठते हैं। यह स्पष्ट होता है कि ये लोग आम लोगों की आवाज को दबाना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा को विरोध पसंद नहीं है। सूबे में जब भी कोई भाजपा की नीतियों का विरोध करता है, तो उसे परेशान किया जाता है। इससे पहले जब यूनिवर्सिटी के छात्रों ने विरोध किया, तो इन्हें परेशान करने का प्रयास किया गया। पुलिस ने छात्रों का भविष्य बर्बाद करने की कोशिश की। राज्य में ऐसी सरकार आ चुकी है जो विरोध प्रदर्शन को बिल्कुल भी सहन नहीं करती। यदि कोई विरोध करता है, तो उसके खिलाफ गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है।
उन्होंने कहा कि हमारा संविधान व्यक्ति को अभिव्यक्ति की आजादी प्रदान करता है, जिसके अंतर्गत सभी को सरकार के सामने अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है। लेकिन, यह सरकार अब संविधान की मर्यादा को उल्लंघन पर आमादा हो चुकी है।