क्या राज्यसभा में बहस के अनुरोध को अस्वीकार किए जाने पर हंगामा हुआ?

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क्या राज्यसभा में बहस के अनुरोध को अस्वीकार किए जाने पर हंगामा हुआ?

सारांश

राज्यसभा में कार्यवाही के दौरान हंगामे का माहौल बना। विपक्ष ने महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की अनुमति न मिलने पर विरोध जताया। क्या यह स्थिति आगे और बिगड़ेगी?

Key Takeaways

  • राज्यसभा में हंगामा हुआ जिसके कारण कार्यवाही स्थगित हुई।
  • विपक्ष ने महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस की अनुमति देने की मांग की।
  • उपसभापति ने कहा कि कोई नोटिस स्वीकार नहीं किया गया।
  • सदन में बहस की कमी से स्थिति तनावपूर्ण बनी रही।

नई दिल्ली, १ अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। राज्यसभा में शुक्रवार को कार्यवाही की शुरुआत हंगामेदार रही। सभापति और विपक्षी सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक के बाद सदन की कार्यवाही दोपहर तक के लिए स्थगित कर दी गई।

उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने बताया कि नियम २६७ के तहत ३० नोटिस प्राप्त हुए, जिनमें जरूरी सार्वजनिक मुद्दों पर चर्चा के लिए कामकाज स्थगित करने की मांग की गई थी। लेकिन, उन्होंने कहा कि कोई भी नोटिस प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता, इसलिए उन्हें स्वीकार नहीं किया गया।

इस पर विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया और सभापति पर महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर बहस को दबाने का आरोप लगाया।

कई सांसदों ने मिलकर बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर चर्चा की मांग की, जिसमें तृणमूल कांग्रेस के मोहम्मद नदिमुल हक, राजद के मनोज कुमार झा, डीएमके के तिरुचि सिवा, कांग्रेस की रंजीत रंजन, नीरज डांगी, रजनी अशोकराव पाटिल और अन्य शामिल थे।

इसके साथ ही, ओडिशा के विपक्षी सदस्यों ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों में खतरनाक वृद्धि का मुद्दा उठाया, जबकि पश्चिम बंगाल के प्रतिनिधियों ने अन्य राज्यों में बंगाली प्रवासी श्रमिकों के खिलाफ भेदभाव का मुद्दा उठाया।

जेबी माथर (कांग्रेस) और एए राहीम (सीपीआई(एम)) ने छत्तीसगढ़ के दुर्ग में दो ननों की गिरफ्तारी पर चर्चा के लिए नोटिस दिया। संजय सिंह (आप) और रामजीलाल सुमन (सपा) ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय निर्यात पर लगाए गए टैरिफ और दंड के आर्थिक प्रभाव पर चर्चा की मांग की। वी सिवदासन (सीपीआई(एम)) ने भारतीय आईटी सेक्टर में बड़े पैमाने पर छंटनी के संकट पर चर्चा करने की मांग की।

बार-बार अपील के बावजूद, उपसभापति ने दृढ़ता से कहा कि एसआईआर से संबंधित मामला न्यायालय में विचाराधीन है और यह भारत के निर्वाचन आयोग, एक संवैधानिक प्राधिकरण, के अधिकार क्षेत्र में है।

उन्होंने दोहराया कि सदन के नियम स्पष्ट हैं और शून्यकाल तथा प्रश्नकाल को स्थगित कार्य के मंच में नहीं बदला जा सकता।

इसके बाद विरोध-प्रदर्शन तेज हो गए और सांसदों ने नारेबाजी की। नारेबाजी करने वाले सांसदों ने आरोप लगाया कि सभापति उन्हें जनता के मुद्दे उठाने का अधिकार नहीं दे रहे।

आम आदमी पार्टी के अशोक कुमार मित्तल ने शून्य काल के लिए अपनी सूचना पढ़ने की कोशिश की, लेकिन हंगामे की वजह से उनकी आवाज नहीं सुनी गई। सभापति ने विपक्ष को शांत करने की कोशिश की और कहा, "पूरा देश देख रहा है... आप जनता के मुद्दे नहीं उठाने दे रहे, आप नियमों का पालन नहीं करना चाहते।"

हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही सुनाई नहीं दे रही थी, इसलिए सदन को स्थगित करना पड़ा।

दोपहर बाद जब सदन फिर से शुरू होने वाला था, तब भी माहौल तनावपूर्ण था। विपक्ष अपने मुद्दों पर अड़ा हुआ था और सभापति नियमों का पालन कराने पर कायम थे, जिससे दिन की कार्यवाही में और रुकावट आने की संभावना थी।

Point of View

यह घटना दर्शाती है कि भारतीय राजनीति में संवाद की कमी बढ़ रही है। सदन में मुद्दों पर खुली बहस होना जरूरी है, ताकि जनता की आवाज सुनी जा सके।
NationPress
02/08/2025

Frequently Asked Questions

राज्यसभा में हंगामा क्यों हुआ?
राज्यसभा में बहस के अनुरोध को अस्वीकार किए जाने के कारण विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया।
क्या सदन की कार्यवाही स्थगित की गई?
हाँ, सदन की कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित कर दी गई।
उपसभापति ने क्या कहा?
उपसभापति ने बताया कि कोई भी नोटिस प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता।
विपक्ष ने किन मुद्दों पर चर्चा की मांग की?
विपक्ष ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण और महिला-children crimes की वृद्धि पर चर्चा की मांग की।
सदन में क्या स्थिति थी?
सदन में माहौल तनावपूर्ण था और विपक्ष अपने मुद्दों पर अड़ा हुआ था।