क्या वकील राकेश किशोर ने सीजेआई से दुर्व्यवहार करने का सही कारण बताया?

Click to start listening
क्या वकील राकेश किशोर ने सीजेआई से दुर्व्यवहार करने का सही कारण बताया?

सारांश

वकील राकेश किशोर ने सीजेआई बीआर गवई से दुर्व्यवहार का कारण बताया। क्या है उनकी दलील और पीछे की कहानी? जानें इस विवाद के सभी पहलुओं के बारे में।

Key Takeaways

  • सुप्रीम कोर्ट में वकील का दुर्व्यवहार महत्वपूर्ण मुद्दा है।
  • राकेश किशोर का आरोप सनातन धर्म का अपमान करने का है।
  • लाइसेंस रद्द करना एडवोकेट एक्ट 1961 के तहत हुआ है।

नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई से दुर्व्यवहार करने वाले वकील राकेश किशोर ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया। इसके साथ ही उन्होंने अपनी वकालत का लाइसेंस रद्द करने को 'तुगलकी फरमान' बताया।

समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में राकेश किशोर ने इस घटना को ईश्वरीय कृत्य करार दिया। उन्होंने कहा कि यह सबकुछ उनके द्वारा नहीं किया गया, बल्कि परमात्मा ने उनसे कराया। उनका ऐसा करने का बिल्कुल भी मन नहीं था।

उन्होंने बताया कि उनके इस व्यवहार के पीछे एक संदेश छिपा था, जिसे वह वहां पहुंचाना चाह रहे थे। सीजेआई गवई ने 16 सितंबर को एक पीआईएल की सुनवाई की थी। उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं थी कि आखिर किसने पीआईएल दायर की थी।

राकेश किशोर का दावा है कि सुनवाई के दौरान सीजेआई ने सनातन धर्म का अपमान किया था। खुजराहो में एक भगवान विष्णु की सात फीट की मूर्ति है, जिसका सिर धड़ से अलग है। विदेशी आक्रमणकारियों ने जब भारत पर हमला किया था, तब कई हिंदू मंदिरों को नुकसान पहुंचाया गया था। वह खुद उस मूर्ति के पास जाकर रो चुके हैं।

उन्होंने कहा कि इस मूर्ति को ठीक करने की मांग जब सीजेआई के सामने उठाई गई तो उन्होंने टिप्पणी की कि 'तुम तो इतने बड़े भगवान के भक्त हो। तुम ही जाकर मूर्ति से कहो कि 'वो ही कुछ कर लें।' इस टिप्पणी को उन्होंने उचित नहीं समझा।

इसके बाद इस संबंध में बयान जारी किया गया। इसके बाद तीन दिन पहले मॉरीशस में उनके द्वारा कही गई बातों ने और विवाद खड़ा कर दिया।

राकेश किशोर ने कहा कि वह बरेली में पैदा हुए और वहीं रहते हैं। उन्हें पता है कि बुलडोजर की कार्रवाई उन लोगों पर हो रही है जिन्होंने अवैध रूप से ज़मीन पर कब्जा कर रखा है।

बार काउंसिल द्वारा लाइसेंस रद्द करने पर उन्होंने कहा कि यह 'तुगलकी फरमान' है। एडवोकेट एक्ट 1961 के तहत कार्रवाई की गई है। उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया और सीधा निलंबित कर दिया गया।

उन्होंने कहा कि अब आगे क्या कदम उठाते हैं, यह परमात्मा पर निर्भर है। यदि उनका करियर बर्बाद करने की योजना बनाई गई है, तो वह सोच सकते हैं, लेकिन वह इस पर चिंतित नहीं हैं।

Point of View

बल्कि यह भी दर्शाता है कि व्यक्तिगत विश्वास और पेशेवर आचार संहिता के बीच संतुलन कैसे बनाना चाहिए। एक वकील के रूप में राकेश किशोर का व्यवहार कई दृष्टिकोणों से विचारणीय है, लेकिन इसे एक बड़े संदर्भ में देखने की आवश्यकता है।
NationPress
07/10/2025

Frequently Asked Questions

राकेश किशोर ने सीजेआई से दुर्व्यवहार क्यों किया?
राकेश किशोर ने इसे ईश्वरीय कृत्य बताया और कहा कि उनका ऐसा करने का मन नहीं था।
क्या राकेश किशोर का लाइसेंस रद्द किया गया?
हाँ, बार काउंसिल ने उनका लाइसेंस रद्द कर दिया है, जिसे उन्होंने तुगलकी फरमान बताया।
सीजेआई ने उनकी टिप्पणी के बारे में क्या कहा?
सीजेआई ने कहा कि मूर्ति के भक्तों को खुद इस मुद्दे को सुलझाना चाहिए।