क्या बालासाहेब ठाकरे की मृत्यु पर सीबीआई जांच होनी चाहिए? रामदास कदम ने उठाए गंभीर सवाल!

सारांश
Key Takeaways
- बालासाहेब ठाकरे की मृत्यु पर उठाए गए सवालों ने महाराष्ट्र में सियासी हलचल मचाई है।
- रामदास कदम द्वारा सीबीआई जांच की मांग में महत्वपूर्ण राजनीतिक आयाम हैं।
- उद्धव ठाकरे और अनिल परब को लेकर आरोपों का खेल जारी है।
- इस विवाद ने शिवसेना के दो गुटों के बीच खींचतान को और बढ़ा दिया है।
- मामले की सीबीआई जांच से सच्चाई उजागर हो सकती है।
मुंबई, 4 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना के शिंदे गुट के नेता रामदास कदम ने बालासाहेब ठाकरे की मृत्यु को लेकर गंभीर प्रश्न उठाए हैं। उन्होंने शुक्रवार को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विवादास्पद आरोपों के संदर्भ में सीबीआई जांच की मांग की है।
इससे पहले, दशहरा रैली में, रामदास कदम ने दावा किया कि बालासाहेब का शव दो दिन तक मातोश्री में रखा गया और उनके हस्ताक्षर लिए गए। उनके इस आरोप पर शिवसेना (यूबीटी) के नेता कड़े प्रतिवाद कर रहे हैं। कदम ने मुख्यमंत्री से मिलकर इस मामले की सीबीआई जांच कराने की सिफारिश करने की बात कही।
कदम ने उद्धव ठाकरे पर भी निशाना साधते हुए कहा, "2014 में मुझे और दिवाकर रावते को मंत्री पद दिया, लेकिन हमें नजरअंदाज किया गया।" उद्धव के 'नमक हराम' वाले बयान पर पलटवार करते हुए कदम ने कहा, "गद्दार तो उद्धव हैं, जिन्होंने बालासाहेब के साथ गद्दारी की।"
कदम ने अपनी पत्नी की संदिग्ध मृत्यु के आरोप पर अनिल परब पर भी कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा, "मेरी पत्नी स्टोव पर खाना बना रही थीं, और स्टोव फटने से उन्हें चोट आई। ये आरोप झूठे हैं।"
जब परब ने नार्कोटिक्स टेस्ट की मांग की, तो कदम ने कहा, "वे कोर्ट जाएं, लेकिन मैं पहले सीबीआई जांच कराऊंगा।"
कदम ने फिर से परब के आरोपों का खंडन करते हुए कहा, "मेरी पत्नी की साड़ी में आग लगी, मैंने उन्हें बचाया। क्या परब को पता है कि 1993 में मेरे गांव में क्या हुआ?"
बता दें कि बालासाहेब की मृत्यु का विवाद महाराष्ट्र की राजनीति में गहरा होता जा रहा है। शिवसेना (यूबीटी) इसे बालासाहेब का अपमान मानती है, जबकि शिंदे गुट समर्थन में खड़ा है।