क्या रामलीला में मंदोदरी की भूमिका पर बवाल है? भाजपा विधायक रविंद्र नेगी ने पूनम पांडे का समर्थन किया

सारांश
Key Takeaways
- पूनम पांडे को मंदोदरी की भूमिका दी गई है।
- भाजपा विधायक ने उनका समर्थन किया है।
- विवाद का कारण धार्मिक भावनाएं हैं।
- नवरात्रि के दौरान मांस की दुकानों पर भी चर्चा हुई।
- सभी धर्मों का सम्मान करना आवश्यक है।
नई दिल्ली, 20 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली में आयोजित होने वाली लवकुश रामलीला में अभिनेत्री पूनम पांडे द्वारा मंदोदरी की भूमिका निभाने की घोषणा के बाद विवाद उत्पन्न हो गया है। कुछ लोग इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं। दूसरी ओर, भाजपा विधायक रविंद्र सिंह नेगी ने पूनम पांडे का समर्थन किया है। नेगी का कहना है कि यदि पूनम पांडे मंदोदरी का किरदार निभाती हैं, तो किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत में रविंद्र सिंह नेगी ने कहा कि अभिनेता और अभिनेत्रियों का असली काम अभिनय करना है। अगर किसी कलाकार को विशेष किरदार निभाने का अवसर मिलता है, तो इसमें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।
लाल किला मैदान में आयोजित लव कुश रामलीला का भव्य मंचन 22 सितंबर से 3 अक्टूबर तक होगा, और 2 अक्टूबर को दशहरा पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा।
नवरात्रि के पावन अवसर पर, भाजपा विधायक रविंद्र सिंह नेगी ने मांस व्यापारियों से अपील की है कि मंदिरों के आस-पास खुली मांस की दुकानें बंद रखें। उन्होंने कहा कि दिल्ली में भाजपा की सरकार आने के बाद लोगों की अपेक्षाएं बढ़ गई हैं, और सनातन धर्म का पालन करते हुए यह हमारा कर्तव्य है कि पर्व के दौरान धार्मिक भावनाओं का सम्मान किया जाए।
नेगी ने बताया कि नवरात्रि के दौरान मंदिर के 100 मीटर के दायरे में मांस की दुकानें न खोली जाएं। उन्होंने कहा, 'जब मैं विधायक नहीं था और निगम पार्षद था, तब भी मैंने लोगों से अपील की थी, और सभी ने सहयोग किया था। यह सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस बार भी मैंने व्यापारियों से आग्रह किया है, और आगे भी करता रहूंगा।
पिछले वर्षों की तरह, इस बार भी नवरात्रि पर मांस दुकानों को बंद करने की मांग तेज हो गई है। भाजपा के कई अन्य विधायकों ने भी इसी तरह की अपील की है।
भाजपा विधायक ने कहा, "मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं। नवरात्रि केवल पर्व नहीं, बल्कि हमारी आस्था और सनातन संस्कृति का प्रतीक है। इस पवित्र समय में मां भगवती की साधना में विघ्न न आए, यह हम सभी का दायित्व है। जनभावनाओं का सम्मान करते हुए मांस की दुकानों का बंद रहना संस्कृति संवर्द्धन और आस्था-रक्षा का संकल्प है।