क्या संत समाज ने रामविलास दास वेदांती के निधन को अयोध्या के लिए अपूरणीय क्षति माना?

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क्या संत समाज ने रामविलास दास वेदांती के निधन को अयोध्या के लिए अपूरणीय क्षति माना?

सारांश

रामविलास दास वेदांती के निधन ने अयोध्या में गहरा शोक पैदा किया है। उन्हें एक प्रतिष्ठित संत माना जाता था, और उनके जाने से संत समाज को अपूरणीय क्षति का सामना करना पड़ा है। जानिए इस दुखद घटना के पीछे की भावनाएं और प्रतिक्रिया।

Key Takeaways

  • रामविलास दास वेदांती के निधन ने अयोध्या में शोक की लहर फैलाई।
  • उनका जीवन रामभक्ति और सेवा का प्रतीक था।
  • संत समाज ने इसे अपूरणीय क्षति माना।
  • उनकी यादें आज भी संतों के दिलों में ताजा हैं।
  • उनका योगदान अयोध्या के लिए महत्वपूर्ण था।

अयोध्या, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पूर्व सांसद और राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख संत रामविलास दास वेदांती के निधन ने अयोध्या समेत पूरे देश में शोक की लहर पैदा कर दी है। अनेक संत, धर्मगुरु, जनप्रतिनिधि और सामाजिक जीवन से जुड़े लोग उनके निधन को सनातन परंपरा और अयोध्या के लिए एक अपूरणीय क्षति मानते हैं।

करपात्री महाराज ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वेदांती के निधन से अयोध्या के संत समाज को ऐसा आघात लगा है मानो हम सभी अनाथ हो गए हों। उन्होंने भावुक स्मृतियां साझा करते हुए कहा कि हाईकोर्ट के फैसले से एक दिन पहले वेदांती ने उनसे कहा था, “करपात्री, रामलला अधूरे हैं, चलो वहां चलते हैं।” उस समय किसी प्रकार की प्रशासनिक व्यवस्था नहीं थी, फिर भी वे उनके कहने पर रामलला के दर्शन के लिए गए। वहां रामलला को देखकर वेदांती फूट-फूटकर रो पड़े थे और उन्हें शांत कराने का प्रयास किया गया था। करपात्री महाराज ने कहा कि वह दृश्य आज भी उनकी आंखों में ताजा है।

संत दिवाकर आचार्य महाराज ने कहा कि मध्य प्रदेश प्रवास के दौरान पूज्य महाराज के स्वास्थ्य में अचानक गिरावट आई और 76 वर्ष की आयु में उनका असामयिक निधन हो गया। उन्होंने इसे न केवल अयोध्या बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए अत्यंत दुखद और अपूरणीय क्षति बताया। उन्होंने कहा कि वेदांती का जीवन रामभक्ति, संघर्ष और सेवा का प्रतीक था।

सांसद साक्षी महाराज ने भी शोक व्यक्त करते हुए कहा कि रामविलास दास वेदांती अयोध्या आंदोलन के प्रमुख स्तंभ और एक प्रभावशाली वक्ता थे। उन्होंने कहा कि वेदांती के साथ उन्होंने संसद सदस्य के रूप में भी काम किया है। उनका निधन सनातन समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। साक्षी महाराज ने कहा कि वे उनके मित्र और भाई जैसे थे, इसलिए उनके जाने से न केवल उन्हें बल्कि उनसे प्रेम करने वाले असंख्य लोगों को गहरा दुख पहुंचा है। उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की कि वेदांती को दिव्य धाम में स्थान मिले।

इकबाल अंसारी ने भी रामविलास दास वेदांती के निधन पर शोक जताया। उन्होंने कहा कि वेदांती अयोध्या के एक प्रतिष्ठित संत थे और उनके निधन से संतों की नगरी अयोध्या शोक में डूब गई है। उन्होंने कहा कि वेदांती महाराज अयोध्या के अपने थे और एक पूजनीय संत के रूप में जाने जाते थे। उनके जाने से पूरे अयोध्या में शोक की लहर दौड़ गई है।

Point of View

बल्कि सम्पूर्ण देश को प्रभावित किया है। संत रामविलास दास वेदांती का जीवन और उनके कार्य हमें प्रेरित करते हैं। उनके निधन पर शोक व्यक्त करना एक सामूहिक भावना है, जो हमारे समाज में उनकी अहमियत को दर्शाता है।
NationPress
16/12/2025

Frequently Asked Questions

रामविलास दास वेदांती कौन थे?
रामविलास दास वेदांती एक प्रमुख संत और राम मंदिर आंदोलन के नेता थे।
उनका निधन कब हुआ?
उनका निधन 15 दिसंबर को हुआ।
उनके निधन पर किसने शोक जताया?
संत, धर्मगुरु, जनप्रतिनिधि और अनेक लोग उनके निधन पर शोक व्यक्त कर रहे हैं।
वे किस कार्य के लिए जाने जाते थे?
वे रामभक्ति और सामाजिक सेवा के लिए जाने जाते थे।
उनका प्रभाव किस पर था?
उनका प्रभाव अयोध्या आंदोलन और संत समाज पर था।
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