क्या राम मंदिर आंदोलन में शहीद हुए लोगों का बनेगा स्मारक?
सारांश
Key Takeaways
- राम मंदिर के पास शहीदों के लिए स्मारक का निर्माण।
- सांसद संजय जायसवाल का स्वागत।
- धार्मिक आस्था और राष्ट्रीय इतिहास का सम्मान।
- आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत।
- शहीदों की याद में प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी।
बेतिया, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के उस स्थान पर एक नया मंदिर बनाने का निर्णय लिया गया है, जहाँ प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व रामलला विराजमान थे। इसके साथ ही, राम मंदिर आंदोलन के दौरान अपनी जान की परवाह किए बिना बलिदान देने वाले शहीदों की याद में एक स्मारक का निर्माण भी किया जाएगा। बेतिया से भाजपा सांसद डॉ. संजय जायसवाल ने राम मंदिर ट्रस्ट के इस महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक निर्णय का स्वागत किया है।
उनका कहना है कि यह निर्णय केवल धार्मिक आस्था से नहीं, अपितु देश के इतिहास और बलिदान की परंपरा का भी सम्मान करता है।
डॉ. जायसवाल ने कहा कि यह निर्णय करोड़ों रामभक्तों की भावनाओं से जुड़ा हुआ है। राम मंदिर आंदोलन एक दिन की नहीं, बल्कि लगभग साढ़े पांच सौ वर्षों की लड़ाई है, जिसमें हजारों-लाखों लोगों ने अपनी जान दी। उन सभी वीरों का योगदान अमूल्य है और उन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता। राम मंदिर ट्रस्ट का यह निर्णय कि उन बलिदानियों की याद को स्थायी रूप से संजोया जाएगा, अपने आप में ऐतिहासिक है।
उन्होंने विशेष रूप से कोठारी बंधुओं का जिक्र किया, जिनकी कुर्बानी आज भी हर रामभक्त के दिल में बसी हुई है। ऐसे अनगिनत रामभक्त थे जिन्होंने अपने जीवन का बलिदान देकर राम मंदिर आंदोलन को आगे बढ़ाया। अब राम मंदिर के निकट एक विशेष स्थान पर इन सभी बलिदानियों का इतिहास लिखा जाएगा और उनकी स्मृति में प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी। इससे आने वाली पीढ़ियों को यह ज्ञात होगा कि राम मंदिर केवल एक इमारत नहीं, बल्कि त्याग, संघर्ष और आस्था का प्रतीक है।
उनका कहना है कि यह निर्णय आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। जब युवा पीढ़ी इन बलिदानियों के बारे में जानेगी, तो वे अपने देश, संस्कृति और परंपराओं पर गर्व महसूस करेंगे। यह कदम धार्मिक आस्था के साथ-साथ राष्ट्रीय इतिहास के प्रति भी एक सम्मान है।
डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि भारत की जनता की ओर से वे राम मंदिर ट्रस्ट का हृदय से आभार व्यक्त करते हैं। ट्रस्ट ने यह सुनिश्चित किया है कि पिछले 550 वर्षों में जिन्होंने भी राम मंदिर के लिए कुर्बानी दी है, उन्हें मंदिर के निकट उचित स्थान मिले। उन्होंने कहा कि यह निर्णय अत्यंत सराहनीय है और इसके लिए राम मंदिर ट्रस्ट बधाई का पात्र है।