क्या चंपई सोरेन 24 अगस्त को रांची में रिम्स-टू की प्रस्तावित जमीन पर हल चलाएंगे?

सारांश
Key Takeaways
- किसानों का संघर्ष उनकी भूमि और आजीविका के लिए है।
- चंपई सोरेन किसानों का समर्थन कर रहे हैं।
- अवैध कब्जा आदिवासी और मूलवासियों के लिए एक गंभीर मुद्दा है।
- सरकार के पास बंजर जमीन होते हुए भी उपजाऊ जमीन का हरण होना विवादास्पद है।
- 24 अगस्त को लाखों लोग हल चलाकर अपनी एकजुटता दिखाएंगे।
रांची, 17 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। रांची के नगड़ी क्षेत्र में नए मेडिकल कॉलेज रिम्स-टू के लिए निर्धारित भूमि को लेकर किसानों का संघर्ष गहराता जा रहा है। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन 24 अगस्त को रिम्स-टू के लिए चिन्हित भूमि पर ‘हल जोतो, रोपा रोपो’ आंदोलन में भाग लेकर किसानों का समर्थन करेंगे।
रविवार को नगड़ी के किसानों ने चंपई सोरेन से उनके निवास पर मुलाकात कर आंदोलन में शामिल होने का न्योता दिया। किसानों का कहना है कि सरकार उनकी उपजाऊ भूमि पर बिना किसी सूचना के कब्जा कर रही है, जो उनकी आजीविका के लिए खतरा बन गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि आदिवासियों और मूलवासियों की भूमि पर अवैध कब्जा करना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने प्रश्न उठाया कि बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया के किसानों को खेती करने से रोकने का आदेश किस आधार पर दिया गया।
उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका विरोध अस्पताल निर्माण के खिलाफ नहीं है, किन्तु बंजर या लैंड बैंक की उपलब्ध जमीन होते हुए भी आदिवासियों की उपजाऊ भूमि का हरण करना गलत है।
सोरेन ने याद दिलाया कि अलग झारखंड राज्य बनाने का आंदोलन हमेशा आदिवासी और मूलवासी के अधिकारों की रक्षा के लिए किया गया। आज वही किसान अपनी भूमि की सुरक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 24 अगस्त को लाखों लोग नगड़ी में हल चलाकर यह प्रदर्शित करेंगे कि कोई भी ताकत उन्हें खेती से नहीं रोक सकती।
पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता बंधु तिर्की ने भी नगड़ी में रिम्स-टू के निर्माण पर विरोध जताया है।
उन्होंने कहा कि जब लैंड बैंक और एचईसी की खाली जमीन उपलब्ध है, तो किसानों की उपजाऊ भूमि पर कब्जा क्यों किया जा रहा है?
वहीं, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने कहा कि नगड़ी की भूमि रिम्स-टू के लिए उपयुक्त है और वहां अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं स्थापित करना सरकार की प्राथमिकता है।
उन्होंने इस दावे को भी गलत बताया कि रिम्स-टू की प्रस्तावित भूमि रैयतों की है।