क्या राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पितृपक्ष में गयाजी पहुंची और पिंडदान किया?

सारांश
Key Takeaways
- राष्ट्रपति ने गयाजी में पिंडदान किया।
- यह यात्रा धार्मिक आस्था का प्रतीक है।
- हर वर्ष पितृपक्ष में हजारों श्रद्धालु गयाजी आते हैं।
- गयाजी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है।
- पितृपक्ष मेला 21 सितंबर तक चलेगा।
गयाजी, 20 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को बिहार के गयाजी में कदम रखा, जो कि मोक्ष स्थली के रूप में प्रसिद्ध है। यहां उन्होंने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए पिंडदान किया।
राष्ट्रपति विशेष विमान से गया अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर उतरीं और फिर सड़क मार्ग से विष्णुपद मंदिर की ओर बढ़ीं। गया हवाई अड्डे पर बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। राष्ट्रपति के पिंडदान के लिए विष्णुपद मंदिर परिसर में विशेष व्यवस्थाएं की गई थीं और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।
गयापाल पुरोहित राजेश लाल कटरियाल ने वैदिक विधि से पिंडदान कराया। राष्ट्रपति के आगमन के मद्देनजर विष्णुपद मंदिर और आसपास के क्षेत्रों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।
ज्ञात हो कि शुक्रवार को प्रसिद्ध व्यवसायी मुकेश अंबानी भी अपने परिवार के साथ गयाजी पहुंचे थे और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया। हर वर्ष पितृपक्ष में सैकड़ों श्रद्धालु गयाजी आते हैं ताकि वे अपने पितरों के मोक्ष के लिए पिंडदान कर सकें। यहां विष्णुपद मंदिर, फल्गु नदी और अक्षय वट जैसे पवित्र स्थलों पर श्रद्धा पूर्वक पूजा की जाती है।
मान्यता है कि मृत्यु के बाद आत्मा इस भौतिक संसार में रहती है। यदि परिवार पिंडदान करता है, तो आत्मा को इस लोक से मुक्ति मिलती है। पितृपक्ष में हजारों लोग अपने पितरों के लिए गयाजी आते हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जिला प्रशासन और पर्यटन विभाग ने व्यापक तैयारी की है। पितृपक्ष मेला 21 सितंबर तक चलेगा।