क्या देश का विकास तभी संभव है जब हर दिव्यांग को मिले बराबरी का दर्जा?: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

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क्या देश का विकास तभी संभव है जब हर दिव्यांग को मिले बराबरी का दर्जा?: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

सारांश

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विश्व दिव्यांग दिवस पर दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने में योगदान देने वाले व्यक्तियों को राष्ट्रीय पुरस्कार दिए। उन्होंने समाज में दिव्यांगजनों के बराबरी के हक के महत्व को रेखांकित किया। यह कार्यक्रम एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि दिव्यांगजन समाज का अभिन्न हिस्सा हैं।

Key Takeaways

  • दिव्यांगजन को समानता का हक है।
  • समाज में दिव्यांग व्यक्तियों का योगदान आवश्यक है।
  • सरकार ने कई संस्थान स्थापित किए हैं।
  • दिव्यांगजनों के लिए यूनिक आईडी कार्ड जारी किया गया है।
  • हम सभी का कर्तव्य है कि हम दिव्यांगजनों का सम्मान करें।

नई दिल्ली, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को विश्व दिव्यांग दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति भवन में वर्ष 2025 के राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए। ये पुरस्कार उन व्यक्तियों और संगठनों को दिए गए जिन्होंने दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने में उत्कृष्ट कार्य किया।

समारोह में राष्ट्रपति ने स्पष्ट शब्दों में कहा, "दिव्यांगजन दया के नहीं, बल्कि बराबरी के हकदार हैं। समाज और देश का विकास तभी संपूर्ण माना जाएगा जब हर दिव्यांग व्यक्ति इसमें बराबर का हिस्सेदार बने। यह कोई एहसान या दान नहीं, बल्कि हम सभी का कर्तव्य है।"

इस वर्ष की थीम है – "सामाजिक प्रगति के लिए दिव्यांगता-समावेशी समाज को बढ़ावा देना"। राष्ट्रपति ने कहा कि यह थीम बिल्कुल सही दिशा में है। भारत अब पुरानी कल्याणकारी सोच से बाहर निकलकर अधिकार और सम्मान की सोच को अपना रहा है। 2015 में "दिव्यांगजन" शब्द को अपनाकर सरकार ने यही संदेश दिया था कि ये लोग कमजोर नहीं, बल्कि दैवीय शक्ति वाले हैं।

राष्ट्रपति ने सरकार की कोशिशों की सराहना की। उन्होंने बताया कि देश में साइन लैंग्वेज रिसर्च, मेंटल हेल्थ रिहैबिलिटेशन और स्पोर्ट्स ट्रेनिंग के लिए कई राष्ट्रीय संस्थान स्थापित किए गए हैं। अब तक लाखों दिव्यांगजनों को यूनिक डिसेबिलिटी आईडी कार्ड मिल चुका है, जिससे उन्हें नौकरी, शिक्षा और यात्रा में आरक्षण एवं सुविधाएं आसानी से मिल रही हैं।

उन्होंने समाज से अपील की कि सरकार अकेले सब कुछ नहीं कर सकती। हमें अपने घर, मोहल्ले, स्कूल और ऑफिस में दिव्यांगजनों को साथ लेकर चलना होगा। उनकी इज्जत और आत्मनिर्भरता बढ़ाना हर नागरिक का कर्तव्य है।

राष्ट्रपति ने पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए कहा, "आप सबने साबित कर दिया कि अगर मौका मिले तो दिव्यांगजन किसी से पीछे नहीं रहते। आप सब समाज के लिए मिसाल हैं।"

इस अवसर पर केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार, राज्य मंत्री रामदास आठवले और प्रतिभा पाटिल समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।

Point of View

बल्कि वे समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इस दृष्टिकोण को अपनाना न केवल हमारे सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करेगा, बल्कि एक समृद्ध और समावेशी राष्ट्र की दिशा में भी कदम बढ़ाएगा।
NationPress
09/12/2025

Frequently Asked Questions

दिव्यांगजन को सशक्त बनाने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं?
सरकार ने कई राष्ट्रीय संस्थान स्थापित किए हैं जो साइन लैंग्वेज रिसर्च, मानसिक स्वास्थ्य रिहैबिलिटेशन और स्पोर्ट्स ट्रेनिंग पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
राष्ट्रीय पुरस्कार किसे दिए गए?
ये पुरस्कार उन लोगों और संस्थाओं को दिए गए जिन्होंने दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने में बेहतरीन काम किया।
समाज में दिव्यांगजन की स्थिति क्या है?
दिव्यांगजन दया के नहीं, बल्कि बराबरी के हकदार हैं, और उन्हें समाज का हिस्सा मानकर उनके साथ चलना चाहिए।
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