क्या ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में रिलायंस पावर के सीएफओ अशोक कुमार पाल को गिरफ्तार किया?

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क्या ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में रिलायंस पावर के सीएफओ अशोक कुमार पाल को गिरफ्तार किया?

सारांश

प्रवर्तन निदेशालय ने रिलायंस पावर के सीएफओ अशोक कुमार पाल को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी एडीए समूह से जुड़े धोखाधड़ी जांच के चलते हुई। जानें इस मामले के पीछे की कहानी और इसके संभावित प्रभाव।

Key Takeaways

  • अशोक कुमार पाल की गिरफ्तारी मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में हुई है।
  • अनिल अंबानी का नाम भी इस मामले में शामिल है।
  • ईडी की कार्रवाई वित्तीय धोखाधड़ी के खिलाफ सख्त कदम है।
  • कोर्ट ने अंबानी की याचिका को खारिज कर दिया।
  • यह मामला उद्योगपतियों के लिए चेतावनी है।

नई दिल्ली, ११ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रिलायंस पावर लिमिटेड के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) और उद्योगपति अनिल अंबानी के करीबी सहयोगी अशोक कुमार पाल को फर्जी बैंक गारंटी मामले में गिरफ्तार किया है।

पाल की गिरफ्तारी एडीए समूह से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में हुई है। केंद्रीय जांच एजेंसी के दिल्ली कार्यालय में पूछताछ के बाद उन्हें हिरासत में लिया गया और एक न्यायाधीश के समक्ष पेश किया जाना था।

एडीए मामले में यस बैंक और एडीए समूह की कंपनियों से जुड़े वित्तीय कदाचार के आरोप शामिल हैं, जिसका नेतृत्व पहले अनिल अंबानी करते थे।

ईडी ने आरोप लगाया था कि अनिल अंबानी और रिलायंस समूह की संस्थाएं १७,००० करोड़ रुपये के ऋण धोखाधड़ी मामले में शामिल थीं।

इस सप्ताह की शुरुआत में, बॉम्बे उच्च न्यायालय ने उद्योगपति अनिल अंबानी और रिलायंस कम्युनिकेशंस के ऋण खातों को 'धोखाधड़ी' के रूप में वर्गीकृत करने के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के फैसले को बरकरार रखा। मंगलवार को अदालत द्वारा उपलब्ध कराई गई आदेश की प्रति के अनुसार, न्यायालय ने कहा कि बैंक का कदम कानूनी रूप से सही और तर्कसंगत था।

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और नीला गोखले की खंडपीठ ने ३ अक्टूबर को एसबीआई के आदेश को चुनौती देने वाली अंबानी की याचिका खारिज कर दी। अनिल अंबानी ने तर्क दिया था कि यह आदेश अमान्य है क्योंकि उन्हें न तो व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर दिया गया और न ही सभी प्रासंगिक दस्तावेज उपलब्ध कराए गए।

हालांकि, कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मास्टर डायरेक्शन के मुताबिक, ऐसे मामलों में उधार लेने वाले को सिर्फ लिखित में जवाब देने का अधिकार होता है, व्यक्तिगत रूप से सुनवाई का नहीं।

हाई कोर्ट ने कहा कि अंबानी की याचिका में कोई ठोस आधार नहीं है और यह भी माना कि एसबीआई द्वारा खातों को फर्जी (फ्रॉड) घोषित करना कानून के मुताबिक सही है।

इस साल १३ जून को एसबीआई ने रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) और इसके प्रमोटर अनिल अंबानी के लोन खातों को फर्जी (फ्रॉड) घोषित किया। बैंक ने इसके पीछे फंड के दुरुपयोग, समझौतों का उल्लंघन और जुड़ी हुई कंपनियों के साथ संदिग्ध लेन-देन को कारण बताया। इस मामले में कार्रवाई के लिए बैंक ने सीबीआई से संपर्क किया है।

एक अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा ने भी यह घोषित किया था कि रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम) और इसके पूर्व निदेशक अनिल अंबानी के लोन खातों को 'फ्रॉड' यानी फर्जी करार दिया गया है।

Point of View

NationPress
11/10/2025

Frequently Asked Questions

अशोक कुमार पाल को किस मामले में गिरफ्तार किया गया है?
उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के फर्जी बैंक गारंटी मामले में गिरफ्तार किया गया है।
क्या अनिल अंबानी का नाम इस मामले में शामिल है?
हाँ, अनिल अंबानी का नाम भी इस मामले में शामिल है, क्योंकि ये आरोप एडीए समूह से जुड़े हैं।
ईडी की कार्रवाई का क्या महत्व है?
यह कार्रवाई वित्तीय धोखाधड़ी के खिलाफ सख्त संदेश देती है कि ऐसे मामलों में सख्त कदम उठाए जाएंगे।
क्या कोर्ट ने अंबानी की याचिका को स्वीकार किया?
नहीं, कोर्ट ने अंबानी की याचिका को खारिज कर दिया।
क्या यह गिरफ्तारी अन्य उद्योगपतियों को प्रभावित कर सकती है?
हाँ, यह गिरफ्तारी अन्य उद्योगपतियों के लिए चेतावनी हो सकती है कि वित्तीय अनुशासन का पालन करना अनिवार्य है।