क्या ऋषि कपूर ने अपनी बेटी की बात सुनकर सिगरेट छोड़ दी थी?

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क्या ऋषि कपूर ने अपनी बेटी की बात सुनकर सिगरेट छोड़ दी थी?

सारांश

ऋषि कपूर, जो एक समय में बॉलीवुड के सबसे बड़े रोमांटिक हीरो थे, ने अपनी बेटी की एक मासूम सी बात सुनकर सिगरेट छोड़ने का निर्णय लिया। यह कहानी न केवल उनकी आदतों को बदलने की है, बल्कि उनके पारिवारिक जीवन और जिम्मेदारियों को भी दर्शाती है। जानिए इस प्रेरणादायक घटना के पीछे की कहानी।

Key Takeaways

  • ऋषि कपूर ने अपनी बेटी की बात सुनकर सिगरेट छोड़ने का निर्णय लिया।
  • उन्होंने कई हिट फिल्मों में काम किया और भारतीय सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • उनकी आत्मकथा 'खुल्लम खुल्ला' में उनके जीवन के कई पहलू उजागर हुए हैं।
  • ऋषि कपूर अपने परिवार के प्रति बहुत जिम्मेदार थे।
  • उनका निधन भारतीय सिनेमा के लिए एक बड़ा नुकसान था।

मुंबई, 3 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बॉलीवुड में कई सितारे आए और चले गए, लेकिन कुछ चेहरे ऐसे होते हैं, जो सिनेमा से कहीं ज्यादा हमारे दिलों में बस जाते हैं। ऋषि कपूर उन्हीं में से एक थे। एक समय था, जब हर युवा उनकी तरह दिखना चाहता था और लड़कियां उनकी मुस्कान पर फिदा थीं। फिल्मों के परदे के बाहर ऋषि की जिंदगी भी आम इंसानों जैसी थी, जिसमें प्यार, रिश्तों की गर्माहट और कुछ खराब आदतें शामिल थीं।

उन्हीं आदतों में से एक थी सिगरेट

ऋषि कपूर का जन्म 4 सितंबर 1952 को मुंबई के प्रसिद्ध कपूर खानदान में हुआ था। उनके पिता, राज कपूर, हिंदी सिनेमा के सबसे बड़े नामों में से एक थे। उन्होंने पहली बार पर्दे पर 1970 की फिल्म 'मेरा नाम जोकर' में बाल कलाकार के रूप में काम किया और इसके लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता। लेकिन, असली स्टारडम उन्हें 1973 में मिली, जब 'बॉबी' फिल्म आई। 21 साल के ऋषि ने एक कॉलेज बॉय का किरदार निभाया और पूरे देश में रोमांस के नए पोस्टर बॉय बन गए।

इसके बाद उन्होंने 'कर्ज', 'सरगम', 'प्रेम रोग', 'चांदनी', 'नगीना', 'नसीब', 'कुली', 'सागर' और 'अमर अकबर एंथोनी' जैसी कई हिट फिल्में दीं। 70 और 80 के दशक में वह सबसे व्यस्त और सबसे ज्यादा कमाई करने वाले सितारों में शामिल थे। रोमांटिक हीरो की छवि से बाहर आकर भी उन्होंने कई किरदार निभाए। कभी वह खलनायक बने तो कभी कॉमेडियन। 'अग्निपथ', 'कपूर एंड सन्स', '102 नॉट आउट' जैसी फिल्मों में उन्होंने उम्र के साथ खुद को फिर से साबित किया।

सिगरेट छोड़ने वाली कहानी भी उनकी इसी शख्सियत को दर्शाती है। वह सिर्फ बड़े पर्दे पर हीरो नहीं थे, बल्कि अपने परिवार के लिए भी एक जिम्मेदार इंसान थे। उन्होंने अपनी आत्मकथा 'खुल्लम खुल्ला' में भी इस बात का जिक्र किया है, जिसे मीना अय्यर ने लिखा और हार्पर कॉलिन्स ने प्रकाशित किया। इस किताब में ऋषि ने अपने करियर से लेकर निजी जिंदगी तक के कई अनकहे पहलुओं पर खुलकर बात की।

ऋषि कपूर ने किताब में बताया, "मैं बहुत ज्यादा स्मोकिंग करता था, लेकिन मैंने तब सिगरेट छोड़ दी, जब मेरी बेटी ने कहा, 'मुझसे आपको सुबह-सुबह किस नहीं होगा, क्योंकि आपके मुंह से बदबू आती है।' उस दिन के बाद से मैंने सिगरेट को हाथ नहीं लगाया।"

बता दें कि रिद्धिमा ऋषि की पहली संतान हैं। 1980 में उनका जन्म हुआ था।

'खुल्लम खुल्ला' में ऋषि ने बताया कि जब रिद्धिमा का जन्म हुआ तो वह और नीतू खुशी के चलते सातवें आसमान पर थे। बाद में रणबीर का जन्म हुआ और उनकी फैमिली पूरी हो गई।

पिता के तौर पर ऋषि कपूर अपने बेटे रणबीर कपूर के प्रति थोड़े सख्त थे। उन्होंने खुद माना कि वह दोस्त जैसे पिता नहीं बन पाए। इस बात को भी उन्होंने दिल से स्वीकार किया और कहा कि रणबीर अपने बच्चों के साथ अलग तरीके से पेश आएगा।

दमदार एक्टिंग के लिए ऋषि कपूर को कई अवॉर्ड

2018 में उन्हें कैंसर का पता चला और इलाज के लिए वह न्यूयॉर्क चले गए। लगभग एक साल इलाज के बाद जब वे भारत लौटे तो एक बार फिर फिल्मों में काम करने लगे। लेकिन, बीमारी ने उन्हें ज्यादा समय नहीं दिया। 30 अप्रैल 2020 को ऋषि कपूर ने दुनिया को अलविदा कह दिया।

Point of View

बल्कि एक जिम्मेदार पिता, पति और इंसान की भी। ऐसे उदाहरण हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि हम अपने परिवार के लिए क्या कर सकते हैं।
NationPress
03/09/2025

Frequently Asked Questions

ऋषि कपूर ने सिगरेट क्यों छोड़ी?
ऋषि कपूर ने अपनी बेटी की बात सुनकर सिगरेट छोड़ने का निर्णय लिया, जब उन्होंने कहा कि उनके मुंह से बदबू आती है।
ऋषि कपूर का जन्म कब हुआ था?
ऋषि कपूर का जन्म 4 सितंबर 1952 को मुंबई में हुआ था।
ऋषि कपूर की सबसे प्रसिद्ध फिल्म कौन सी थी?
ऋषि कपूर की सबसे प्रसिद्ध फिल्म 'बॉबी' थी, जो 1973 में रिलीज़ हुई थी।
ऋषि कपूर को कितने अवॉर्ड मिले?
ऋषि कपूर को अपने करियर में कई अवॉर्ड मिले, जिनमें फिल्मफेयर अवॉर्ड और क्रिटिक्स अवॉर्ड शामिल हैं।
ऋषि कपूर का निधन कब हुआ?
ऋषि कपूर का निधन 30 अप्रैल 2020 को हुआ।