क्या रीता भादुड़ी के किरदार आज भी दर्शकों के दिलों में जिंदा हैं?

सारांश
Key Takeaways
- रीता भादुड़ी का करियर अद्वितीय था।
- उन्होंने कई यादगार किरदार निभाए।
- उनकी अभिनय शैली ने दर्शकों को प्रभावित किया।
- वह कभी शादी नहीं की और अविवाहित रहीं।
- उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें याद किया जाता है।
नई दिल्ली, 16 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बॉलीवुड में बहुत कम ऐसे अभिनेता हुए हैं जिन्हें फिल्म और टीवी दोनों जगह पर दर्शकों का भरपूर प्यार मिला। रीता भादुड़ी उन चुनिंदा कलाकारों में से एक रहीं। उन्होंने अपनी अभिनय से केवल फिल्मों में ही नहीं, बल्कि टीवी के छोटे पर्दे पर भी दर्शकों की तालियां बटोरी। घर-घर में उनके निभाए गए किरदारों की चर्चा आज भी इस बात का सबूत है कि वह कितनी अद्भुत थीं। वह आज हमारे साथ नहीं हैं। 17 जुलाई 2018 को इस महान अभ actriz ने दुनिया को अलविदा कह दिया और अपने पीछे वो विरासत छोड़ गईं, जिसे देख आज भी दर्शकों की आंखें नम हो जाती हैं। उनके किरदार आज भी दर्शकों के दिलों में जिंदा हैं। उन्होंने कड़ी मेहनत और दमदार अभिनय से हिंदी सिनेमा और टेलीविजन में एक खास जगह बनाई। उनकी पुण्यतिथि पर चलिए विस्तार से जानते हैं इस महान अभिनेत्री के बारे में।
4 नवंबर 1955 को जन्मीं इस कलाकार ने हिंदी सिनेमा में एक से बढ़कर एक फिल्मों में शानदार अभिनय से अपनी पहचान बनाई। उन्होंने महज 13 साल की उम्र में फिल्म 'तेरी तलाश में' से अपने करियर की शुरुआत की थी। रीता भादुड़ी ने लगभग 70 फिल्मों और 30 से अधिक टेलीविजन धारावाहिकों में काम किया। उनकी प्रमुख फिल्मों में 'जूली', 'सावन को आने दो', 'राजा', 'क्या कहना', और 'मैं माधुरी दीक्षित बनना चाहती हूं' शामिल हैं।
अभिनेत्री रीता भादुड़ी के करियर में खास बात यह रही है कि उन्होंने 1990 के दशक में ज्यादातर फिल्मों में मां या भाभी जैसे सहायक किरदार निभाए। उन्होंने इन किरदारों में जिस प्रकार से अभिनय किया, उनकी स्वाभाविक अभिनय शैली ने इन किरदारों को यादगार बना दिया। फिल्म 'राजा' में उनके अभिनय के लिए उन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का पुरस्कार मिला। हिन्दी सिनेमा के अलावा रीता ने गुजराती सिनेमा में भी हाथ आजमाया। 1976 में आई गुजराती फिल्म 'लाखो फूलानी' में उनकी भूमिका हिट रही, जिसके बाद उन्होंने अगले आठ वर्षों तक गुजराती सिनेमा में कई प्रमुख किरदार निभाए।
हिंदी, गुजराती फिल्मों के बाद उन्होंने टीवी का रूख किया। यहां भी उन्हें सफलता ही मिली। उनके द्वारा टीवी सीरियल 'निमकी मुखिया' में इमरती देवी का किरदार आज भी दर्शकों के दिलों में जिंदा है। इसके अलावा, 'साराभाई वर्सेस साराभाई', 'कुमकुम', और 'अमानत' जैसे धारावाहिकों में भी उनके किरदार यादगार रहे। हालांकि, एक इंटरव्यू के दौरान वह बहुत गुस्सा भी हुई थीं। जब उनसे सवाल पूछा गया कि क्या वह जया बच्चन (पूर्व में जया भादुड़ी) की बहन हैं। इस बात से रीता को काफी चिढ़ होती थी। 2011 के एक इंटरव्यू में उन्होंने जयपुर में एक घटना का जिक्र किया, जहां किसी ने उनसे यह सवाल पूछा, जिससे वह नाराज हो गई थीं।
उन्होंने कहा था कि इंडस्ट्री में इतना वक्त गुजारने के बाद भी इस तरह के सवाल क्यों? रीता गंभीर किडनी की बीमारी से जूझने के बावजूद भी अपनी जिंदादिली के लिए जानी जाती थीं। नियमित डायलिसिस के बावजूद, उन्होंने काम करना नहीं छोड़ा।
एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, "बुढ़ापे की बीमारियों के डर से क्या काम छोड़ दें? मुझे व्यस्त रहना पसंद है।" फिल्मों और टीवी पर मां का रोल निभाने वाली इस अभिनेत्री के जीवन से जुड़ी एक बात जो शायद बहुत कम लोगों को ही मालूम होगी कि रीता भादुड़ी ने अपने जीवन में कभी शादी नहीं की और अविवाहित रहीं। फिर भी, उनकी जिंदगी उनके कला और प्रशंसकों के प्यार से भरी रही।
17 जुलाई 2018 को 62 वर्ष की आयु में किडनी की बीमारी के कारण मुंबई के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया।