क्या रोहित पवार ने निशिकांत दुबे को महाराष्ट्र आने का चैलेंज दिया?

सारांश
Key Takeaways
- रोहित पवार ने निशिकांत दुबे को चैलेंज दिया है।
- पीएम मोदी के बयान की प्रशंसा की गई है।
- राजनीतिक बयानबाजी से समाज में तनाव उत्पन्न हो सकता है।
- राजनीतिज्ञों को अपनी भाषा का ध्यान रखना चाहिए।
- संस्कृति का सम्मान सभी के लिए आवश्यक है।
मुंबई, 7 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। एनसीपी (एसपी) के नेता रोहित राजेंद्र पवार ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे को एक स्पष्ट चैलेंज दिया है। उन्होंने कहा कि अगर उनमें हिम्मत है, तो वे महाराष्ट्र आकर दिखाएं। साथ ही, उन्होंने ब्रिक्स सम्मेलन में पीएम मोदी द्वारा पहलगाम आतंकी हमले के संदर्भ में दिए गए बयान की प्रशंसा की।
राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में, रोहित पवार ने निशिकांत को चुनौती देते हुए कहा, "उन्हें यह समझना चाहिए कि मराठी लोग कौन हैं। महाराष्ट्र में किसी भी भाषा बोलने वाले लोग, जो मराठी संस्कृति का सम्मान करते हैं, वे हमारे लिए मराठी हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "अगर निशिकांत दुबे में हिम्मत है, तो वे आकर मराठी के खिलाफ बोलकर दिखाएं, तब उन्हें समझ में आएगा।"
गौरतलब है कि रोहित पवार ने निशिकांत दुबे के उस विवादास्पद बयान पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा था, "हिंदी भाषी लोगों को मुम्बई में मारने वाले अगर हिम्मत रखते हैं, तो महाराष्ट्र में उर्दू भाषियों को मार कर दिखाएं।"
प्रधानमंत्री मोदी के बयान की प्रशंसा करते हुए रोहित पवार ने कहा, "जैसा कि पीएम मोदी ने कहा, यह मानवता की हत्या है, और यदि किसी देश का नागरिक आतंकवादी हमले में मारा जाता है, तो यह मानवता पर सीधा हमला है। आतंकवाद का कोई समर्थन नहीं कर सकता।"
उन्होंने दिनेश लाल यादव निरहुआ पर टिप्पणी करते हुए कहा, "मुझे नहीं पता कि वह कौन हैं। उन्हें पहले महाराष्ट्र आकर देखना चाहिए। महाराष्ट्र की संस्कृति सभी को एक साथ लेकर चलती है, लेकिन अगर कोई यहां आकर मराठी लोगों के खिलाफ बोलेगा, तो हम सहन नहीं करेंगे।"
बिहार चुनाव के संदर्भ में उन्होंने कहा, "पिछली बार इन्होंने सुशांत सिंह राजपूत के मुद्दे पर चुनाव लड़ा था, और अब मराठी मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं। यहां 'लड़ाओ, तोड़ो, मारो' की नीति चल रही है।"
उन्होंने धीरेंद्र शास्त्री (बागेश्वर धाम वाले बाबा) पर भी टिप्पणी की, "जो बाबा हैं, उन्होंने महाराष्ट्र के संतों के बारे में अनुचित बातें की हैं। मैं उन्हें यही कहना चाहता हूं कि मध्य प्रदेश में अपने एजेंडे को चलाएं, लेकिन महाराष्ट्र में हम संतों के विचारों का सम्मान करते हैं। यहाँ भेदभाव की राजनीति नहीं चलेगी।"