क्या भाई-बाप के रहते बहनों-बेटियों को प्रेम जाल में फंसाया जा रहा है? 'लव जिहाद' पर साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की राय

सारांश
Key Takeaways
- लव जिहाद का मुद्दा गंभीर है।
- विधर्मियों की निर्भीकता पर सवाल उठाए गए हैं।
- महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए।
- समाज को सजग रहने की आवश्यकता है।
- धार्मिक और नैतिक विरासत की संरक्षण करना आवश्यक है।
इटावा, 3 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने बताया कि 'लव जिहाद' की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। उनका कहना है कि विधर्मी इतनी निर्भीकता से बहन-बेटियों को प्रेम के जाल में फंसाकर ले जा रहे हैं।
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने यूपी के इटावा में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, "हमारे यहां 'लव जिहाद' की गतिविधियां चल रही हैं और विधर्मियों की इतनी हिम्मत हो गई है कि भाई के रहते बहन को उठाकर ले जाते हैं, पिता के रहते बेटियों को उठाकर ले जाते हैं, और पति के रहते पत्नी को प्रेम जाल में फंसाकर ले जाते हैं। वे अपने झूठे नाम बताते हैं और मातृशक्ति का भाव बिगाड़कर उन्हें अपने यहां ले जाते हैं, जबकि हमारे यहां के पुरुष सोते रह जाते हैं, जो हमारे लिए शर्म की बात है।"
प्रज्ञा ठाकुर ने सनातन धर्म के अनुयायियों से कहा कि उन्हें अपने धर्म, समुदाय और महिलाओं की गरिमा तथा सुरक्षा के प्रति सजग और संगठित रहना चाहिए। यदि किसी भी प्रकार की अनैतिक या आपराधिक घटना होती है, जिससे किसी सनातनी महिला का अपमान या उत्पीड़न होता है, तो हमें कानूनी, सामाजिक और आत्म-रक्षा के सभी प्रभावी साधनों का उपयोग करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हम जिस महान भूमि के वासी हैं, हमें उस भूमि की नैतिक और धार्मिक विरासत की रक्षा करनी चाहिए। अगर हम अपने पड़ोस, देश और धर्म की लाज नहीं बचा पाए, तो हमारा होना व्यर्थ है।
प्रज्ञा ने चंबल क्षेत्र का उल्लेख करते हुए कहा, "पुरुषार्थी पुरुषार्थ करते हैं। मैं बताना चाहती हूं कि अंग्रेजों को पराजित करने का काम चंबल क्षेत्र के लोगों ने किया है। जब अंग्रेज चंबल के ग्रामीण क्षेत्रों में कर लेने के लिए आते थे, तब लोगों ने प्रताड़ना के बावजूद उन्हें कर नहीं दिया। चंबल का पानी ऐसा ही है। अगर कोई हमारी मर्यादा को आंच पहुंचाएगा और उसके बावजूद खून नहीं खोलेगा, तो पुरुषों को अपने बारे में सोचना होगा कि क्या वे वास्तव में मर गए हैं या फिर जिंदा हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "मैं कहूंगी कि मर-मरकर जीने के बजाय जीवन जीकर मरो। अगर आप ऐसा करते हैं तो पूरा देश साथ खड़ा होगा।"