क्या मैंने जॉर्ज सोरोस से मुलाकात की? सैम पित्रोदा का स्पष्ट जवाब

सारांश
Key Takeaways
- सैम पित्रोदा ने जॉर्ज सोरोस से मुलाकात के आरोपों को नकारा।
- अमेरिकी टैरिफ नीतियों पर व्यावहारिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
- भारत की विदेश नीति में पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध होना चाहिए।
- भारत-पाकिस्तान संबंधों में दोस्ती का महत्व है।
- राजनीतिक आरोपों की सत्यता को समझना आवश्यक है।
नई दिल्ली, 19 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस और कांग्रेस के बीच संबंधों के आरोप को इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के चेयरमैन सैम पित्रोदा ने सिरे से नकार दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसमें कोई सच्चाई नहीं है। सोरोस अपने निजी हितों के लिए काम करते हैं, जबकि कांग्रेस अपना कार्य करती है।
सैम पित्रोदा ने शुक्रवार को राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा, "मैंने कभी भी जॉर्ज सोरोस से मुलाकात नहीं की। इसके बारे में कोई सबूत नहीं है। सोरोस अपने हितों के लिए काम करते हैं और कांग्रेस पार्टी अपने लिए। यह सभी आरोप झूठे हैं। उदाहरण के लिए, यदि मैं किसी से मिलता हूं और वह व्यक्ति तस्वीरें लेता है, तो इसका मतलब यह नहीं कि मैं उनके साथ सहयोग कर रहा हूं। लोग ऐसा करते रहते हैं और किसी भी तस्वीर को प्रकाशित कर देते हैं। मुझे लगता है कि सभी के बारे में सिर्फ झूठ फैलाने का कार्य किया जाता है।"
पित्रोदा ने अमेरिकी टैरिफ नीतियों पर भी अपनी राय दी। उन्होंने कहा, "हमें क्या विकल्प है? हमें अपने विकल्पों का मूल्यांकन करना होगा और व्यावहारिक रहना होगा। यदि अमेरिका 50 प्रतिशत टैरिफ लगाता है, तो इसका मतलब है कि उसने अपना निर्णय ले लिया है। तो हम क्या कर सकते हैं? हम बातचीत कर सकते हैं, अनुरोध कर सकते हैं और अच्छे संबंध बनाए रख सकते हैं। इसके अलावा और क्या किया जा सकता है?"
भारत की विदेश नीति पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, "यह हमारी जिम्मेदारी है। हमारी विदेश नीति ऐसी होनी चाहिए जो वास्तव में हमारे पड़ोसियों को सुकून दे, क्योंकि हम इस क्षेत्र के सबसे बड़े देश हैं। हम किसी से 5 प्रतिशत या 10 प्रतिशत नहीं, बल्कि 4, 5, या 10 गुना बड़े हैं। इसलिए क्षेत्र में शांति और समृद्धि लाना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। हमें अपने पड़ोसियों से लड़ना नहीं चाहिए।"
भारत-पाकिस्तान संबंधों पर उन्होंने कहा, "मैं विदेश नीति का विशेषज्ञ नहीं हूं। लेकिन घर की तरह, मैं अपने पड़ोसियों से दोस्ती करना चाहता हूं। मेरे चार पड़ोसी हैं, आगे, पीछे, बाएं और दाएं। मैं उनसे लड़ना नहीं चाहता। वे शायद जीवन के लक्ष्य साझा न करें, लेकिन यह ठीक है। मुझे समायोजन करना चाहिए। मुझे लचीला रहना होगा और उनकी बात सुननी होगी।"