क्या भारत कोई धर्मशाला है? हमारी लड़ाई घुसपैठ के खिलाफ है : समिक भट्टाचार्य

सारांश
Key Takeaways
- भारत कोई धर्मशाला नहीं है
- घुसपैठ के खिलाफ लड़ाई
- सरकार को चर्चा के लिए स्पष्टता चाहिए
- मानसून सत्र में चर्चा की कमी
- प्रधानमंत्री के विदेश भ्रमण का महत्व
नई दिल्ली, 21 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद अभिषेक बनर्जी के 'जय बांग्ला' बयान पर पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने कहा कि हमारी लड़ाई घुसपैठ के खिलाफ है, भारत कोई धर्मशाला नहीं है।
समिक भट्टाचार्य ने कहा कि जो लोग बांग्लादेश में रहते हैं और बांग्ला में बातचीत करते हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि हम सभी बांग्लादेशियों को हिंदुस्तान लाएंगे और उन्हें मतदाता बना देंगे। हमारी लड़ाई घुसपैठ के खिलाफ है। यह देश कोई धर्मशाला नहीं है कि जब चाहे आकर रहने लगे। इस राजनीति का अंत होना चाहिए। 2026 के संदर्भ में, तृणमूल कांग्रेस को 'जय भारत' कहना होगा और पश्चिम बंगाल से बाहर निकलना होगा।
उन्होंने संसद के मानसून सत्र के बारे में कहा कि सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है। सरकार अपनी आलोचना भी चाहती है, लेकिन यह उचित तरीके से, संविधान और स्थापित प्रक्रियाओं के दायरे में होनी चाहिए।
वहीं, कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने केंद्र पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन के दलों के नेताओं ने इस सत्र के पहले पहलगाम और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी। विपक्ष के लगभग सभी दलों के सांसदों ने विशेष सत्र की मांग की थी। लेकिन सरकार ने इसे नकार दिया, और मानसून सत्र में भी इस पर चर्चा नहीं शुरू की गई।
उन्होंने कहा कि सरकार मीडिया के सामने कुछ कहती है और सदन के अंदर कुछ और करती है। आज भी कोई आश्वासन नहीं है कि इन मुद्दों पर चर्चा किस दिन होगी। सरकार ने पूरे देश की जनता को अंधकार में रखा है। सरकार को सदन के अंदर स्पष्ट करना चाहिए था कि चर्चा कब शुरू होगी। प्रधानमंत्री के विदेश भ्रमण का उल्लेख किया जा रहा है। क्या यह उचित नहीं है कि सदन की कार्यवाही प्रधानमंत्री के लिए अधिक महत्वपूर्ण हो? हमारी मांग पहले से ही रही है कि इस मुद्दे को प्रमुखता दी जाए।