संविधान दिवस: क्या राष्ट्रपति, कानून मंत्री और सीजेआई ने संविधान को सर्वोपरि बताया?
सारांश
Key Takeaways
- संविधान हमारे देश की पहचान और स्वाभिमान का प्रतीक है।
- यह नागरिकों को सामाजिक न्याय और अधिकार प्रदान करता है।
- संविधान की दृष्टि से हमारी शासन व्यवस्था को दिशा मिलती है।
- संविधान दिवस पर हम अपने अधिकारों और कर्तव्यों की पुनर्परिभाषा करते हैं।
- संविधान निर्माताओं की दूरदर्शिता हमें प्रेरित करती है।
नई दिल्ली, 26 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। संविधान दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में संविधान दिवस 2025 कार्यक्रम में भाग लिया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि आज का दिन, देशवासियों के लिए हमारे संविधान और इसके निर्माताओं के प्रति आदर व्यक्त करने का है। ‘हम भारत के लोग’ अपने संविधान के प्रति व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर आस्था दिखाते हैं।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि संविधान निर्माताओं की दृष्टि यह थी कि संविधान के माध्यम से हमारा व्यक्तिगत और सामूहिक स्वाभिमान बना रहे। मुझे यह जानकर खुशी होती है कि पिछले दशक में हमारी संसद ने जन-आकांक्षाओं को व्यक्त करने के प्रभावी उदाहरण प्रस्तुत किए हैं।
उन्होंने कहा कि हमारा संविधान, हमारी राष्ट्रीय पहचान का प्रतीक है। यह औपनिवेशिक मानसिकता को त्यागकर राष्ट्रवादी दृष्टिकोण के साथ देश को आगे बढ़ाने का मार्गदर्शक ग्रंथ है। संवैधानिक आदर्श हमारी शासन व्यवस्था को दिशा देते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि संसद के सदस्यों ने हमारे देश की प्रगति के लिए गहन राजनीतिक चिंतन की स्वस्थ परंपरा स्थापित की है। भविष्य में जब विभिन्न लोकतंत्रों और संविधानों का अध्ययन होगा, तब भारतीय लोकतंत्र और संविधान का विवरण स्वर्णाक्षरों में अंकित होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान के अनुरूप आगे बढ़ते हुए, कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका ने देश के विकास को सुदृढ़ किया है और नागरिकों को स्थिरता प्रदान की है। संसद के सदस्य हमारे संविधान और लोकतंत्र की गौरवमयी परंपरा के वाहक हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि संसद के मार्गदर्शन में भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प अवश्य साकार होगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान निर्माण में बाबा साहेब के योगदान को याद करते हुए कहा कि उनकी दूरदर्शिता का लाभ हम सभी को मिल रहा है। आने वाली पीढ़ियाँ भी इसका लाभ उठाएँगी।
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि हमारा संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह नागरिकों को सामाजिक न्याय प्रदान करता है। यह हमें अपनी विरासत पर गर्व करना सिखाता है। भारत में लोकतांत्रिक भावना सदैव व्याप्त रही है।
सीजेआई जस्टिस सूर्यकांत ने संविधान सभा की 15 महिला सदस्यों में से एक बेगम एजाज रसूल को याद करते हुए कहा कि हम इसी संविधान की राह पर चलते हुए विकसित हो रहे हैं। हमारी अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर अग्रणी है।
उन्होंने कहा कि संविधान के निर्माण के 76 वर्ष बाद भी आम नागरिक के बुनियादी अधिकारों की सुरक्षा में चुनौतियाँ बनी हुई हैं। संविधान के अनुच्छेद 32 के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट नागरिक अधिकारों का संरक्षक है। हम इस भूमिका को निष्ठा से निभा रहे हैं।