क्या संगीत सोम का बुर्के पर बयान दहशतगर्दी को बढ़ावा देता है?
सारांश
Key Takeaways
- बुर्का में शराफत का प्रतीक है।
- दहशतगर्दी और फर्जीवाड़ा का सामान्यीकरण खतरनाक है।
- राजनीतिक लाभ के लिए किसी समुदाय को निशाना बनाना ग़लत है।
- भारत में सभी धर्मों को समान सम्मान मिलना चाहिए।
- लोकतंत्र को सुरक्षित रखने के लिए जागरूक रहना जरूरी है।
संभल, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी के सांसद जिया उर रहमान बर्क ने भाजपा नेता संगीत सोम के उस विवादास्पद बयान की कड़ी आलोचना की है, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि बुर्के की आड़ में दहशतगर्दी और फर्जीवाड़ा होता है। बर्क ने कहा कि यह विचार न केवल गलत है, बल्कि दुर्भाग्यपूर्ण भी है कि कुछ लोग केवल बुर्के, टोपी और दाढ़ी में दहशत देखते हैं।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में यह भी कहा कि बुर्के में शराफत का प्रतीक है और इस्लाम में पर्दा करने का संदेश है। ऐसे में किसी विशेष समुदाय को संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए निशाना बनाना लोकतंत्र और सामाजिक सौहार्द के खिलाफ है।
बर्क ने आगे कहा कि जिन लोगों ने यह बयान दिए हैं, उनका असली उद्देश्य अपनी राजनीतिक रोटी सेंकना और जनता के समक्ष अपनी उपस्थिति बनाए रखना है, जबकि वास्तव में जनता ने ऐसे बयानों को नकार दिया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की खूबसूरती यही है कि यहां सभी धर्मों और आस्थाओं को समान सम्मान मिलता है। किसी भी धर्म या रीति-रिवाज पर आधारित नकारात्मक सामान्यीकरण देश के सामाजिक ताने-बाने के लिए खतरनाक है।
चुनाव आयोग द्वारा 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में चल रहे एसआईआर के दूसरे चरण को लेकर भी बर्क ने चिंताएं व्यक्त कीं। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी चुनाव आयोग की प्रक्रियाओं को जबरन रोकने की कोशिश नहीं कर रही, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि पार्टी ने पहले भी मौके पर आपत्तियां उठाईं और इस प्रक्रिया से संबंधित कुछ मामलों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। उनका आरोप था कि बिहार में लाखों मतदाताओं के नाम अनावश्यक रूप से हटाए गए हैं। यदि ऐसी घटनाएं किसी अन्य राज्य में हुईं, तो यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए घातक होगी।
बर्क ने बताया कि वोट केवल उन्हीं मतदाताओं के लिए हटने चाहिए जो वहां से स्थायी रूप से शिफ्ट हुए हों या जिनकी मृत्यु हुई हो। किसी नागरिक का वोट केवल इसलिए नहीं हटाया जाना चाहिए कि वह किसी विशेष पार्टी का मतदाता है। उन्होंने संकेत दिया कि इस तरह की राजनीतिक आधार पर कटौती लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है और इससे सामाजिक विभाजन और वोटिंग अधिकारों का हनन हो सकता है।
समाजवादी पार्टी द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए जिया उर रहमान बर्क ने कहा कि पार्टी ने इस जोखिम से निपटने के लिए बूथ स्तर पर निगरानी सुनिश्चित करने के लिए बीएलओ की नियुक्ति पर विशेष ध्यान दिया है।