क्या संघ का उद्देश्य आत्म-प्रचार नहीं, राष्ट्र का सशक्तीकरण और गौरव है? : अरुण कुमार

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क्या संघ का उद्देश्य आत्म-प्रचार नहीं, राष्ट्र का सशक्तीकरण और गौरव है? : अरुण कुमार

सारांश

आरएसएस के सह-सरकार्यवाह अरुण कुमार ने विजयादशमी को महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती से जोड़ते हुए संघ के उद्देश्य को राष्ट्र सशक्तीकरण बताया। जानें, संघ की १०० वर्षों की यात्रा और आगे की चुनौतियों पर उनका क्या कहना है।

Key Takeaways

  • संघ का उद्देश्य राष्ट्र का सशक्तीकरण है।
  • विजयादशमी सत्य और न्याय की विजय का प्रतीक है।
  • संघ की यात्रा १०० वर्षों की है, जो आत्मनिरीक्षण का समय है।
  • भारतीय संस्कृति की ताकत उसकी निरंतरता में है।
  • मजबूत समाज ही मजबूत राष्ट्र की नींव है।

जयपुर, २ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। राजस्थान के हरमाड़ा नगर में हेडगेवार बस्ती में आयोजित समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सह-सरकार्यवाह अरुण कुमार ने विजयादशमी को एक त्योहार से कहीं बढ़कर बताया।

उन्होंने इसे आस्था, विश्वास और धार्मिकता का प्रतीक बताया और कहा कि यह इस बात की याद दिलाता है कि अंततः सत्य और न्याय की अन्याय पर विजय होती है।

उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी ताकत इसकी निरंतरता में निहित है। जहां कई अन्य सभ्यताएं इतिहास से लुप्त हो गई हैं, वहीं भारतीय संस्कृति बार-बार विपरीत परिस्थितियों से ऊपर उठती रही है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि यह दिन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती भी है। गांधीजी ने स्वतंत्रता संग्राम को स्वराज, स्वधर्म और स्वदेशी के मूल्यों से जोड़ा और रामराज्य तथा ग्राम स्वशासन की कल्पना की। जबकि, शास्त्री जी का जीवन सादगी, ईमानदारी और निडर नेतृत्व का उदाहरण रहा।

अरुण कुमार ने संघ के शताब्दी वर्ष का उल्लेख करते हुए कहा कि यह केवल उत्सव का ही नहीं, बल्कि आत्मनिरीक्षण, आत्मविश्लेषण और संकल्प का भी समय है।

उन्होंने स्वयंसेवकों और नागरिकों से संघ की १०० वर्षों की यात्रा और आगे आने वाली जिम्मेदारियों पर चिंतन करने का आग्रह किया।

अरुण कुमार ने इस बात पर बल दिया कि संघ का उद्देश्य आत्म-प्रचार नहीं, बल्कि राष्ट्र का सशक्तीकरण और गौरव है। उन्होंने बताया कि संघ का मार्ग धर्म, संस्कृति और समाज के संरक्षण में निहित है, और इसकी नींव एक सुसंस्कृत, संगठित और आत्मविश्वासी समाज पर है।

उन्होंने हेडगेवार के दृष्टिकोण को याद किया, जो स्वतंत्रता से आगे बढ़कर मौलिक सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए था और इस बात पर जोर दिया कि एक मजबूत समाज ही एक मजबूत राष्ट्र की नींव होता है।

Point of View

यह कहना उचित होगा कि संघ का उद्देश्य न केवल आत्म-प्रचार है, बल्कि यह राष्ट्र के लिए सशक्तीकरण और गौरव की ओर अग्रसर है। यह दृष्टिकोण हमें एक संगठित और आत्मविश्वासी समाज की दिशा में ले जाता है।
NationPress
02/10/2025

Frequently Asked Questions

आरएसएस का मुख्य उद्देश्य क्या है?
आरएसएस का मुख्य उद्देश्य राष्ट्र का सशक्तीकरण और गौरव है, जो धर्म, संस्कृति और समाज के संरक्षण में निहित है।
विजयादशमी का महत्व क्या है?
विजयादशमी, सत्य और न्याय की विजय का प्रतीक है और यह महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती भी है।
संघ का शताब्दी वर्ष क्यों महत्वपूर्ण है?
संघ का शताब्दी वर्ष आत्मनिरीक्षण, आत्मविश्लेषण और संकल्प का समय है।
भारतीय संस्कृति की विशेषता क्या है?
भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी ताकत इसकी निरंतरता में निहित है, जो विपरीत परिस्थितियों में भी जीवित रहती है।
हेडगेवार का दृष्टिकोण क्या था?
हेडगेवार का दृष्टिकोण स्वतंत्रता से आगे बढ़कर मौलिक सामाजिक परिवर्तन लाने का था।