क्या संजय गायकवाड़ का स्वभाव तुरंत कड़ी प्रतिक्रिया देने का है? : मनीषा कायंदे

सारांश
Key Takeaways
- संजय गायकवाड़ का विवाद कैंटीन के कर्मचारी के साथ झगड़े से शुरू हुआ।
- मनीषा कायंदे ने गायकवाड़ को संवेदनशील बताया।
- घटिया भोजन पर ठेकेदार के खिलाफ जांच की आवश्यकता है।
- भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप।
- दिल्ली विश्वविद्यालय में पाठ्य सामग्री हटाने पर सवाल उठाए गए।
मुंबई, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के बुलढाना से विधायक संजय गायकवाड़ एक बार फिर विवादों में फंस गए हैं। एक वायरल वीडियो में शिवसेना विधायक गायकवाड़ एक कैंटीन के कर्मचारी के साथ हाथापाई करते हुए नजर आ रहे हैं। उन्होंने कैंटीन में घटिया खाना परोसे जाने का आरोप लगाया है। इस घटना पर शिवसेना नेता मनीषा कायंदे ने संजय गायकवाड़ को संवेदनशील बताते हुए कहा कि उनका स्वभाव हमेशा कड़ी प्रतिक्रिया देने का होता है।
मनीषा कायंदे ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा कि संजय गायकवाड़ एक अत्यंत संवेदनशील विधायक हैं, जिन्हें अपनी बात पर तुरंत प्रतिक्रिया देने की आदत है। उनका स्वभाव ऐसा है कि वह इससे बच सकते हैं, लेकिन मुख्य मुद्दा यह है कि यदि ठेकेदार घटिया भोजन मुहैया करवा रहा है, तो इसकी जांच होनी चाहिए क्योंकि इस कैंटीन के खाने से कई अन्य लोगों की तबीयत खराब हो सकती थी।
वहीं, भाजपा विधायक राम कदम ने कहा, "हिंसा को किसी भी स्थिति में सही नहीं ठहराया जा सकता, खासकर किसी जन प्रतिनिधि द्वारा ऐसा होना उचित नहीं है और मैं इसे स्वीकार करता हूं। हालांकि, यदि मामला कैंटीन में दिए जा रहे खाने की अत्यंत घटिया गुणवत्ता का है तो उसे भी उचित नहीं ठहराया जा सकता।"
दिल्ली में भाजपा सरकार ने आम आदमी पार्टी (आप) पर विधवा पेंशन योजना में घोटाले का आरोप लगाया है, जो लगभग 200 करोड़ रुपये का है। इस पर मनीषा कायंदे ने कहा कि आम आदमी पार्टी और घोटाले का संबंध हमेशा से रहा है। इस घोटाले की जांच होनी चाहिए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा हिंदू राष्ट्रवाद पर प्रमुख पाठ्य सामग्री हटाने के निर्णय पर कायंदे ने सवाल उठाया कि दिल्ली विश्वविद्यालय भारत का है या पाकिस्तान का। उन्हें पहले ये बताना चाहिए कि दिल्ली विश्वविद्यालय किस देश में है और ऐसा निर्णय लेने का अधिकार किसने दिया है। विश्वविद्यालय में कौन सा विषय पढ़ाना है, यह मंत्रालय तय करता है।