क्या संजय निषाद ने 'काशी-मथुरा' पर केके मोहम्मद के बयान का समर्थन किया?
सारांश
Key Takeaways
- संजय निषाद ने केके मोहम्मद के बयान का समर्थन किया।
- उन्होंने कहा कि टकराव की स्थिति में चीजें सौंप देनी चाहिए।
- राहुल गांधी की बयानबाजी उचित नहीं है।
- एसआईआर प्रक्रिया मतदाता सूची में सुधार के लिए है।
- रूस भारत का मित्र देश है।
लखनऊ, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री संजय निषाद ने 'काशी और मथुरा' पर इंडिया आर्कियोलॉजिकल सर्वे (एएसआई) के पूर्व अधिकारी केके मोहम्मद की टिप्पणी का समर्थन किया है। संजय निषाद ने कहा कि जहां टकराव की स्थिति बनती है, वहां पीछे हटकर चीजें सौंप देनी चाहिए।
एएसआई के पूर्व अधिकारी केके मोहम्मद ने मथुरा और काशी की जमीनों को हिंदुओं को सौंपने की वकालत की थी। इस संदर्भ में संजय निषाद ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा, "यह बहुत अच्छी बात है, हालांकि कुछ लोग हमेशा चाहते हैं कि भारत के अंदर कटुता बनी रहे, लेकिन जब टकराव के कारण हों या विकास में कोई चीज आड़े आए, तो पीछे हट जाना चाहिए और चीजें सौंप देनी चाहिए।"
निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद ने 'बाबरी मस्जिद' की घोषणा करने वाले विधायक हुमायूं कबीर पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "राजनीति में कोई भी विधायक या सांसद, जब किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़ा है, तो उसे अनुशासन में रहना चाहिए। अमर्यादित भाषाओं का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।"
एसआईआर प्रक्रिया के दौरान पश्चिम बंगाल में कथित तौर पर 50 लाख फर्जी मतदाताओं के खुलासे पर संजय निषाद ने कहा, "एसआईआर प्रक्रिया मतदाता सूची में सुधार के लिए है। कानून के दायरे में नहीं आने वाले मतदाता फर्जी ही माने जाएंगे। इसीलिए एसआईआर का काम चल रहा है, ताकि फर्जी मतदाताओं को हटाया जा सके।"
उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि राष्ट्र निर्माण के लिए और मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए एसआईआर प्रक्रिया का पालन जरूर करें।
संजय निषाद ने राहुल गांधी के आरोपों को लेकर भी जवाब दिया। विदेशी मेहमानों को विपक्षी नेताओं से न मिलाने के आरोपों पर उन्होंने कहा, "राहुल गांधी की बयानबाजी उचित नहीं है।"
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा पर मंत्री संजय निषाद ने कहा, "ऐतिहासिक रूप से भारत ने हमेशा 'वसुधैव कुटुंबकम' की बात की है। यह तभी संभव है जब अन्य देश हमारे मित्र बनें। रूस पहले से हमारा मित्र रहा है। सहयोग के रूप में भी यह मित्र देश प्रथम रहा है। बीते समय में विदेश नीति में कुछ कमियां और चुनौतियां थीं, हमने उन्हें दूर किया और समझदारी व सूझबूझ से काम लेते हुए मजबूत और काबिल पार्टनर के साथ आगे बढ़ रहे हैं।"