क्या संसद में एसआईआर पर होगी महत्वपूर्ण बहस?
सारांश
Key Takeaways
- एसआईआर का महत्व और इसके प्रभाव
- विपक्ष की चिंताएं और उनकी मांगें
- चुनावी सुधारों की दिशा
- सरकार और विपक्ष के बीच संवाद
- लोकतंत्र में भागीदारी
नई दिल्ली, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संसद में मंगलवार को मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और महत्वपूर्ण चुनावी सुधारों पर एक विशाल बहस होने जा रही है। यह चर्चा लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध के बाद हो रही है, जिसने कार्यवाही को बाधित किया है।
यह सफलता सरकार और विपक्ष के बीच गहरी बातचीत के परिणामस्वरूप मिली, जिसके तहत दोनों सदनों में इस मुद्दे को उठाने के लिए समझौता किया गया।
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय शेड्यूल के अनुसार, लोकसभा 9 दिसंबर को चुनावी सुधारों पर बहस करेगी। विपक्ष लगातार एसआईआर प्रक्रिया पर एक सुनियोजित चर्चा की मांग कर रहा था।
विपक्ष का कहना है कि एसआईआर के कारण हाशिए पर पड़े समुदायों को उनके अधिकारों से वंचित किया गया है। इसी मुद्दे पर 1 दिसंबर को शीतकालीन सत्र के आरंभ के बाद से सदन में हंगामे और कार्यवाही में रुकावटें आ रही थीं।
राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 9 और 10 दिसंबर को एसआईआर पर चर्चा की शुरुआत करेंगे। इस बातचीत के लिए कुल दस घंटे का समय निर्धारित किया गया है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल चर्चा का उत्तर देंगे, जबकि सदन के नेता जेपी नड्डा के भी शामिल होने की उम्मीद है।
इस बीच, लोकसभा में बहस फिर से शुरू होगी, जिसके लिए विपक्ष सत्र के पहले दिन से ही दबाव बना रहा है। राहुल गांधी विपक्ष के दखल को लीड करेंगे और मेघवाल इस पर बुधवार को जवाब देंगे।
यह बहस मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत विपक्ष के प्रमुख नेताओं के बार-बार विरोध के बाद हो रही है, जिन्होंने संसद के अंदर और बाहर “एसआईआर रोको—वोट चोरी रोको” के प्लेकार्ड लेकर प्रदर्शन किए।
संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट के माध्यम से शेड्यूल की पुष्टि की और बताया कि ऑल पार्टी मीटिंग के दौरान वंदे मातरम की 150वीं सालगिरह और चुनाव सुधारों पर चर्चा को अंतिम रूप दिया गया।