क्या सरकार के आश्वासन पर भरोसा किया जाए? एसआईआर पर चर्चा आवश्यक: डोला सेन
सारांश
Key Takeaways
- विपक्ष ने एसआईआर पर चर्चा की मांग की है।
- संसद में हंगामा हो रहा है, जिससे कार्यवाही प्रभावित हो रही है।
- सरकार को विपक्ष की बातों को सुनने की जरूरत है।
- सदन का सुचारू चलना आवश्यक है।
- पिछले सत्र में भी चर्चा नहीं हुई थी।
नई दिल्ली, २ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। एसआईआर और चुनाव से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष ने चर्चा की मांग करते हुए शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन भी संसद में हंगामा किया। जहां एक ओर संसद भवन में हंगामे के कारण कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा, वहीं विपक्ष ने सदन के बाहर भी हंगामा किया। एसआईआर समेत कई मुद्दों पर विपक्ष के नेताओं की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं।
शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने एसआईआर के मुद्दे पर राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि हम देशभर से चुनकर संसद भवन पहुंचते हैं और अपने क्षेत्र की आवाज उठाना हमारा कर्तव्य है। यदि विपक्ष कोई मुद्दा उठाना चाहता है, तो सरकार को इससे भागना नहीं चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि विपक्ष की बातों को जितना सुना जाएगा, सरकार अपनी नीतियों में उतना ही सुधार कर सकेगी। सत्र के दिन घटा दिए गए हैं, जिनमें से एक हफ्ता तो हंगामे की भेंट चढ़ जाएगा। विपक्ष केवल आवाज उठा रहा है, लेकिन सब कुछ तो सरकार को ही करना है। विपक्ष को अपनी बात रखने का भी अवसर नहीं मिल रहा है।
उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले दस सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गए हैं। बिना चर्चा के बिल पास कराना अब सामान्य हो गया है। ऐसा लगता है कि सरकार को यही सब अच्छा लग रहा है और विपक्ष अपनी मांगों पर अड़ा हुआ है। सरकार विपक्ष को विश्वास भी नहीं देती है। सदन का चलना अत्यंत आवश्यक है। लोगों का पैसा बर्बाद हो रहा है।
एसआईआर के मुद्दे पर टीएमसी सांसद डोला सेन ने सरकार पर तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा कि सरकार के आश्वासन पर हमें भरोसा नहीं है। पिछले सत्र में पांच हफ्ते सदन चला और इस दौरान सरकार ने कहा था कि एसआईआर पर चर्चा करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस बार तो समय भी कम है।
उन्होंने कहा कि इस बार भी सरकार चर्चा करने का आश्वासन दे रही है, लेकिन सवाल यह है कि क्या वे वास्तव में चर्चा करेंगे? पिछला सत्र निकल गया, इस बार तो कोई दिन या समय दे दें। हम इसका स्वागत करेंगे, लेकिन मुझे संदेह है कि पिछली बार की तरह इस बार भी चर्चा नहीं होगी।