क्या सरकार ने पीओके को भारत में मिलाने का एक अच्छा अवसर गंवाया? : नीरज मौर्य

सारांश
Key Takeaways
- नीरज मौर्य ने पीओके के मुद्दे पर सरकार की चुप्पी की आलोचना की।
- उन्होंने सरकार से स्पष्टता की मांग की।
- भाजपा पर पीओके को भारत में मिलाने का अवसर गंवाने का आरोप लगाया।
- बिहार में चुनावी प्रक्रिया की समस्या पर भी ध्यान दिलाया।
- सरकार को देशवासियों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
नई दिल्ली, 30 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर लोकसभा में दिए भाषण पर समाजवादी पार्टी के सांसद नीरज मौर्य ने प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी को युद्धविराम पर स्थिति को स्पष्ट करने की आवश्यकता थी।
समाजवादी पार्टी के सांसद नीरज मौर्य ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "जिस प्रकार अमेरिका ने कहा कि हमने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराया है, मेरा मानना है कि प्रधानमंत्री को इस विषय पर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए और बताना चाहिए कि भारत किसी भी मध्यस्थता को सहन नहीं करेगा, जैसा कि पहले कभी नहीं किया है। इस समय सरकार इस मुद्दे पर क्यों संकोच कर रही है, यह वही बता सकते हैं।"
नीरज मौर्य ने पीओके का उल्लेख करते हुए कहा, "भाजपा जब भी चुनाव में भाग लेती है तो कहती है कि हमें जनादेश दीजिए। हम पीओके को भारत में मिलाएंगे। मेरा मानना है कि इस बार एक अच्छा अवसर था। पाक अधिकृत कश्मीर हमारे देश का अभिन्न हिस्सा है और उसे भारत में मिलाने का अवसर भाजपा ने गंवाया है।"
सपा सांसद ने आगे कहा, "ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में चर्चा समाप्त हो गई है, लेकिन सरकार की ओर से कोई स्पष्टीकरण नहीं आया। मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री किसी दबाव में हैं। मैं इतना कहूंगा कि पाकिस्तान के साथ न तो खेलना चाहिए और न ही कोई संबंध रखना चाहिए। ऑपरेशन सिंदूर जारी रहना चाहिए, लेकिन सीमा पर ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए ताकि पहलगाम जैसी घटनाएँ भविष्य में न हों। साथ ही, देशवासियों की सुरक्षा के लिए सरकार को कार्य करना चाहिए। सभी विपक्षी दल और देश के लोग सरकार के साथ हैं और ऐसे में उन्हें गंभीरता से कार्य करना चाहिए।"
इसके अलावा, मौर्य ने बिहार के एसआईआर के मुद्दे का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हर बार चुनावी प्रक्रिया में मृत व्यक्तियों के वोट काटे जाते हैं और नए वोट जोड़े जाते हैं, लेकिन इस बार इतनी बड़ी संख्या में वोट काटे जाने की खबरें मीडिया के माध्यम से सामने आ रही हैं। सरकार और चुनाव आयोग को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।