क्या महाराष्ट्र में 13 साल की बच्ची की हत्या के बाद गुस्सा फूटा?

सारांश
Key Takeaways
- बच्चियों की सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा है।
- प्रशासन को जल्द कार्रवाई करनी चाहिए।
- समुदाय में एकजुटता महत्वपूर्ण है।
- न्याय के लिए संवेदनशीलता आवश्यक है।
- आर्थिक मदद और सुरक्षा का प्रावधान होना चाहिए।
सतारा, 13 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के सतारा तालुका के सासपाड़े गांव में 13 साल की स्कूली छात्रा की बेरहमी से हत्या के बाद पूरा क्षेत्र गुस्से से उबल पड़ा है। इस घटना ने दहशत और आक्रोश को जन्म दिया है।
सोमवार को हजारों ग्रामीण, जिसमें महिलाएं और स्कूली बच्चे भी शामिल थे, ने सतारा में पवई नाका से शिवतीर्थ होते हुए जिला कलेक्टर कार्यालय तक एक विशाल मार्च निकाला। प्रदर्शनकारियों ने 'हत्यारे को फांसी दो' और 'बेटी के लिए न्याय लाओ' जैसे नारे लगाए, जिससे पूरा इलाका गूंज उठा।
मराठा क्रांति मोर्चा और अन्य सामाजिक संगठनों ने इस मार्च का समर्थन किया। ग्रामीणों ने मांग की कि आरोपी राहुल यादव को तुरंत गिरफ्तार कर मौत की सजा दी जाए। लड़की के माता-पिता ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर अपनी बेटी को न्याय दिलाने और आरोपियों को सख्त सजा देने की अपील की। उनके आंसुओं और गुस्से ने सबको झकझोर दिया। ग्रामीणों का कहना है कि इस घटना ने गांव में दहशत का माहौल बना दिया है।
ग्रामीणों ने पालकमंत्री शंभूराजे देसाई पर भी नाराजगी जताई, जो घटना के तीन दिन बाद भी गांव नहीं आए। एक ग्रामीण ने कहा, "हमारी बेटी की हत्या हुई। लेकिन, सरकारी नेता अभी तक नहीं पहुंचे। इससे बड़ा अन्याय क्या हो सकता है?"
उन्होंने मांग की कि सरकार बिना देरी के आरोपी को फांसी की सजा दिलाए। साथ ही, लड़की के परिवार को आर्थिक मदद, सरकारी नौकरी और सुरक्षा देने की भी अपील की गई।
आक्रोश मार्च में महिलाओं की बड़ी तादाद थी, जो लड़की की तस्वीर, काले रिबन और 'बेटी बचाओ' की तख्तियां लेकर प्रदर्शन कर रही थीं। उनका गुस्सा प्रशासन के प्रति साफ दिखा। पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए, जिससे मार्च शांतिपूर्ण रहा, लेकिन आक्रोश से भरा रहा।
इस घटना ने सासपाड़े क्षेत्र में तनाव बढ़ा दिया है। जिले के लोग एकजुट होकर आरोपी को फांसी और पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग कर रहे हैं।