क्या राष्ट्रपति मुर्मू और प्रधानमंत्री मोदी ने सत्यपाल मलिक के निधन पर दुख जताया?

सारांश
Key Takeaways
- सत्यपाल मलिक का योगदान भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण रहा।
- उन्हें कई राज्यों में राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया।
- उनकी विचारधारा और सिद्धांतों का प्रभाव आज भी महसूस किया जाता है।
नई दिल्ली, 5 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शोक व्यक्त किए जाने का कारण बना। 79 वर्षीय सत्यपाल मलिक का निधन मंगलवार को हुआ। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और उन्होंने दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में अंतिम सांस ली।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के कार्यालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ''सत्यपाल मलिक के निधन की खबर अत्यंत दुःखद है। मैं उनके परिवार और समर्थकों के प्रति शोक संवेदना व्यक्त करती हूं।''
प्रधानमंत्री मोदी ने भी मलिक के निधन पर दुःख जताते हुए एक्स पर लिखा, ''सत्यपाल मलिक के निधन से मैं दुखी हूं। इस कठिन समय में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और समर्थकों के साथ हैं। ओम शांति।''
सत्यपाल मलिक ने जम्मू-कश्मीर के अलावा बिहार, गोवा और मेघालय जैसे राज्यों में भी राज्यपाल के रूप में कार्य किया। उनका जन्म 25 जुलाई 1946 को यूपी के बागपत जिले में एक जाट परिवार में हुआ। उन्होंने मेरठ से अपनी शिक्षा पूरी की।
उन्होंने 1965-66 में लोहिया की समाजवादी विचारधारा से प्रेरित होकर सक्रिय राजनीति में कदम रखा। 1974 में वह बागपत विधानसभा क्षेत्र से भारतीय क्रांति दल के टिकट पर उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य बने और विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक नियुक्त हुए।
1980 में उन्होंने लोकदल के माध्यम से संसद में कदम रखा और राज्यसभा सदस्य मनोनीत किए गए। हालांकि, 4 साल बाद उन्होंने लोकदल छोड़कर कांग्रेस1986 में कांग्रेस द्वारा राज्यसभा भेजा गया और उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी का महासचिव नियुक्त किया गया।
1987 में बोफोर्स घोटाले से असंतुष्ट होकर उन्होंने राज्यसभा और कांग्रेस दोनों से इस्तीफा देकर अपनी पार्टी 'जन मोर्चा' बनाई। 1988 में उन्होंने अपनी पार्टी का जनता दल में विलय कर दिया।
1989 में जनता दल के टिकट पर अलीगढ़ से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। फिर, 2004 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर बागपत लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। 2012 में भाजपा ने उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया। 2017 तक वह राजनीति से दूर हो गए और भाजपा ने उन्हें बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया।
23 अगस्त 2018 को सत्यपाल मलिक ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में शपथ ली। इसके बाद, वे गोवा गए और वहाँ के 18वें राज्यपाल बने। इसके बाद, उन्हें मेघालय का राज्यपाल बनाया गया।