क्या क्रांतिकारी सत्येंद्रनाथ बोस ने आजादी की अलख जगाई और युवाओं के लिए बने प्रेरणास्रोत?

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क्या क्रांतिकारी सत्येंद्रनाथ बोस ने आजादी की अलख जगाई और युवाओं के लिए बने प्रेरणास्रोत?

सारांश

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सत्येंद्रनाथ बोस जैसे नायकों का योगदान अद्वितीय है। उनका साहस, बलिदान और विचारशीलता ने उन्हें प्रेरणास्रोत बना दिया। जानिए उनके जीवन के अनछुए पहलुओं के बारे में।

Key Takeaways

  • सत्येंद्रनाथ बोस का जन्म 30 जुलाई, 1882 को हुआ।
  • उन्होंने 'सोनार बंगला' पत्रिका का संपादन किया।
  • स्वदेशी आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।
  • उन्होंने अपने जीवन का बलिदान स्वतंत्रता के लिए किया।
  • उनका जीवन युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

नई दिल्ली, 30 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में ऐसे अद्वितीय नायकों के नाम हैं, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी सत्येंद्रनाथ बोस का जन्म 30 जुलाई, 1882 को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले में हुआ। उनके पिता, अभय चरण बोस, मिदनापुर कॉलेज में प्रोफेसर थे। सत्येंद्रनाथ ने अपने प्रारंभिक जीवन से ही देशभक्ति और स्वतंत्रता की भावना को अपने अंदर भरा।

सत्येंद्रनाथ बोस का क्रांतिकारी जीवन अरविंद घोष और लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जैसे महान विचारकों से प्रेरणा प्राप्त करता था। इसके अलावा, स्वामी विवेकानंद और बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की रचनाओं ने उनके मन में स्वदेशी और स्वतंत्रता की भावना को और भी प्रगाढ़ किया।

उन्होंने स्वदेशी का प्रचार करते हुए युवाओं को क्रांतिकारी गतिविधियों से जोड़ा। सत्येंद्रनाथ ने ‘सोनार बंगला’ नामक पत्रिका का संपादन किया, जो जनता में स्वतंत्रता की चेतना को जागृत करने का एक प्रभावी साधन साबित हुआ।

सत्येंद्रनाथ का नाम पहली बार पुलिस रिकॉर्ड में तब आया जब उन्हें मिदनापुर शस्त्र मामले में बिना लाइसेंस की बंदूक रखने के लिए गिरफ्तार किया गया। इस अपराध के लिए उन्हें दो महीने की सजा सुनाई गई, लेकिन यह उनके क्रांतिकारी संकल्प को और भी मजबूत करने वाला क्षण था।

1908 का अलीपुर बम कांड भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। इस कांड में अरविंद घोष मुख्य संदिग्ध थे। इस दौरान नरेंद्र नाथ गोस्वामी नामक व्यक्ति ने क्रांतिकारियों के खिलाफ गवाही देने का निर्णय लिया, जिससे अरविंद घोष और अन्य क्रांतिकारियों की जान को खतरा था।

सत्येंद्रनाथ बोस और उनके साथी कन्हाई लाल दत्ता ने इस गद्दारी को देश के प्रति अपराध माना। 31 अगस्त, 1908 को अलीपुर जेल अस्पताल में, जहां दोनों विचाराधीन कैदी थे, उन्होंने नरेंद्रनाथ गोस्वामी की हत्या कर दी।

इस साहसिक कदम का उद्देश्य केवल बदला लेना नहीं था, बल्कि यह सुनिश्चित करना था कि गोस्वामी की गवाही को अदालत में सबूत के रूप में स्वीकार न किया जाए। इस हत्या ने अरविंद घोष और अन्य क्रांतिकारियों को कानूनी खतरे से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इस कृत्य के लिए सत्येंद्रनाथ और कन्हाई लाल पर मुकदमा चला। 21 अक्टूबर, 1908 को हाईकोर्ट ने उन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई। कन्हाई लाल को 10 नवंबर, 1908 को फांसी दी गई, जबकि सत्येंद्रनाथ का मामला उच्च न्यायालय में गया।

21 नवंबर, 1908 को सत्येंद्रनाथ बोस को भी फांसी पर लटका दिया गया। मात्र 26 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने प्राणों का बलिदान दे दिया।

Point of View

NationPress
30/07/2025

Frequently Asked Questions

सत्येंद्रनाथ बोस का जन्म कब हुआ?
सत्येंद्रनाथ बोस का जन्म 30 जुलाई, 1882 को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले में हुआ।
सत्येंद्रनाथ बोस ने किस पत्रिका का संपादन किया?
उन्होंने 'सोनार बंगला' नामक पत्रिका का संपादन किया।
सत्येंद्रनाथ बोस का प्रमुख योगदान क्या था?
उनका प्रमुख योगदान स्वदेशी आंदोलन और युवाओं को क्रांतिकारी गतिविधियों से जोड़ना था।
सत्येंद्रनाथ बोस को कब फांसी दी गई?
उनको 21 नवंबर, 1908 को फांसी दी गई।
सत्येंद्रनाथ बोस के साथ कौन थे?
उनके साथी कन्हाई लाल दत्ता थे।