महादेव को भांग, आक और धतूरा क्यों प्रिय हैं?

सारांश
Key Takeaways
- महादेव की पूजा में भांग और धतूरा का महत्व है।
- सावन का महीना भगवान शिव के लिए विशेष है।
- भांग और अन्य जंगली फल-फूल से पोजा का महत्व बढ़ता है।
- इनका उपयोग नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए किया जाता है।
- भगवान शिव के प्रति श्रद्धा बढ़ाने का यह एक तरीका है।
नई दिल्ली, 3 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। सावन का महीना भगवान शिव और उनके भक्तों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। महादेव अपने भक्तों को जल्दी प्रसन्न कर देते हैं, चाहे वे इंसान हों, देवता हों या असुर। उन्हें प्रसन्न करने के लिए न तो महंगी मिठाइयों की आवश्यकता होती है और न ही जटिल पूजा विधियों की। बेलपत्र, भांग, आक, धतूरा और एक लोटा जल ही उनके लिए पर्याप्त है। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान शिव को भांग, आक और धतूरा इतना प्रिय क्यों है?
इसका संबंध ‘नीलकंठ’ से है, जिसका उल्लेख शिव पुराण और भगवती पुराण में मिलता है।
भगवान शिव श्रृंगार के रूप में धतूरा, आकबेल पत्र को स्वीकार करते हैं। शिवजी का यह उदार रूप इस बात का संकेत है कि समाज में जिन चीजों को त्याग दिया गया है, महादेव उन्हें स्वीकार करते हैं ताकि उनका उपयोग अन्य लोग न कर सकें। भोलेनाथ उन चीजों को अपने पर अर्पित करने का आदेश देते हैं, जिन्हें लोगों को त्यागने की सलाह दी जाती है।
इसका उपयोग करने से लोगों को दूर रहने की सलाह दी जाती है ताकि उनके स्वास्थ्य पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े। शिवजी इसे अपने पर अर्पित करने को कहते हैं ताकि लोग इसके उपयोग से बच सकें।
शिव पुराण के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान, जब अमृत के लिए देवताओं और असुरों में संघर्ष हो रहा था, तब समुद्र से ‘हलाहल’ नामक विष निकला। यह विष इतना भयंकर था कि यह तीनों लोकों को नष्ट कर सकता था। सभी देवता और असुर भयभीत हो गए, लेकिन भगवान शिव ने विश्व के कल्याण के लिए इस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया। विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला पड़ गया, इसी कारण उन्हें ‘नीलकंठ’ कहा गया।
भगवती पुराण के अनुसार, ‘हलाहल’ को बेअसर करने के लिए मां शक्ति प्रकट हुईं और उन्होंने महादेव पर भांग, धतूरा और आक जैसे प्राकृतिक और जंगली फल-फूल का लेप लगाने के साथ जल अर्पित किया। माता के साथ सभी देवी-देवताओं ने भी महादेव के सिर पर औषधीय गुणों से भरपूर भांग, आक, धतूरा और जल चढ़ाया, जिससे महादेव के मस्तिष्क का ताप कम हुआ। यही कारण है कि ये चीजें उनकी पूजा में महत्वपूर्ण बन गई हैं।
सावन में शिवलिंग पर भांग, धतूरा और आक चढ़ाने की परंपरा भक्तों के बीच गहरी आस्था का प्रतीक है। बेलपत्र और जल के साथ ये जंगली फल-फूल शिव की कृपा प्राप्त करने का माध्यम बनते हैं। मान्यता है कि इनके अर्पण से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में सुख-शांति आती है, और महादेव प्रसन्न होते हैं।