क्या एससीओ शिखर सम्मेलन में शरीफ के बयान पर बलूच नेता का हमला उचित है?

सारांश
Key Takeaways
- बलूच स्वतंत्रता आंदोलन को आतंकवाद करार देने का प्रयास।
- पाकिस्तान का अंतरराष्ट्रीय छवि पर प्रभाव।
- मीर यार बलूच के आरोपों का महत्व।
- बलूचिस्तान का वैश्विक सामरिक महत्व।
- पाकिस्तान की सेना की जवाबदेही की आवश्यकता।
क्वेटा, 1 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रमुख बलूच मानवाधिकार नेता मीर यार बलूच ने सोमवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पर आरोप लगाया कि वे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में ‘शांतिपूर्ण और वैध’ बलूच स्वतंत्रता आंदोलन को आतंकवाद करार देकर पाकिस्तान की युद्ध अपराधी छवि छिपाना चाहते हैं और अपनी सेना की महत्वाकांक्षाओं को साधना चाहते हैं।
मानवाधिकार कार्यकर्ता ने चीन के तियानजिन में सोमवार को आयोजित 25वें एससीओ शिखर सम्मेलन में शरीफ के बयान को “भ्रामक और पाखंडी” बताया।
मीर यार बलूच ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “हम पाकिस्तान द्वारा एससीओ जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों का दुरुपयोग कर वास्तविक बलूच आवाज़ों को दबाने की निंदा करते हैं। सच्चाई साफ है: पाकिस्तान आतंकवाद का शिकार नहीं, बल्कि उसका निर्माता, निर्यातक और वैश्विक प्रायोजक है। दुनिया के पास पाकिस्तान की अल-कायदा नेतृत्व को पनाह देने और चरमपंथी नेटवर्क को 20 वर्षों तक समर्थन देने के सबूत मौजूद हैं।”
उन्होंने आरोप लगाया कि दशकों से इस्लामाबाद और रावलपिंडी दुनिया को धोखा देते हुए हिंसा और अस्थिरता फैलाते आए हैं। मीर ने कहा, “इतिहास मिटाया नहीं जा सकता। 27 मार्च 1948 को पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय कानून के सभी सिद्धांतों का उल्लंघन करते हुए संप्रभु बलूचिस्तान पर अवैध कब्जा किया।”
उन्होंने कहा कि तब से पाकिस्तान क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है। पाकिस्तान ने न केवल बलूचिस्तान को, बल्कि अफगानिस्तान को भी पांच दशकों तक झूठे जिहाद के नाम पर अस्थिर किया; भारत में 70 सालों से कश्मीर के जरिए प्रॉक्सी युद्ध छेड़े; जॉर्डन में हजारों फ़लस्तीनियों का नरसंहार किया और बांग्लादेश में 30 लाख बंगालियों की हत्या की तथा लाखों महिलाओं का यौन शोषण किया।
मीर ने कहा कि ये केवल आरोप नहीं हैं बल्कि ऐसे अपराध हैं जिनके लिए पाकिस्तान की भ्रष्ट सेना को जवाबदेह ठहराना ही होगा।
उन्होंने कहा, “इसके विपरीत बलूचिस्तान कोई खतरा नहीं, बल्कि दुनिया के लिए एक आशीर्वाद है। यह शांति, सहिष्णुता और अंतरधार्मिक सौहार्द्र की भूमि है, जो संसाधनों से समृद्ध और वैश्विक व्यापार तथा ऊर्जा के लिहाज से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान जहां बलूचिस्तान को अपने जनरलों की जेब भरने के लिए गिरवी रखता है, वहीं बलूचिस्तान के लोग अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मित्रता का हाथ बढ़ाते हैं।”