क्या बर्फीली चोटियों पर पहुंचे सेनाध्यक्ष ने जवानों को दीपावली की बधाई दी?

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क्या बर्फीली चोटियों पर पहुंचे सेनाध्यक्ष ने जवानों को दीपावली की बधाई दी?

सारांश

भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने उत्तराखंड की पहाड़ियों में अग्रिम चौकियों का दौरा किया। इस अवसर पर उन्होंने जवानों को दीपावली की बधाई दी और उनकी तैयारियों का जायजा लिया। इस यात्रा ने सुरक्षा और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर किया।

Key Takeaways

  • सेनाध्यक्ष ने जवानों को दीपावली की शुभकामनाएं दीं।
  • उत्तराखंड की पहाड़ियों में सेना की तैयारियों का जायजा लिया गया।
  • सामरिक दृष्टि से कुमाऊं क्षेत्र का महत्व बताया गया।
  • सेना ने नागरिक-सैन्य सहयोग को मजबूत करने पर बल दिया।
  • भारतीय सेना 'सेवा परम धर्म' के सिद्धांत के प्रति प्रतिबद्ध है।

नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय थलसेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने उत्तराखंड की पहाड़ियों में स्थित अग्रिम चौकियों का दौरा किया। इस यात्रा के दौरान उन्होंने सेना की परिचालन स्थिति और तैयारियों का गहन अध्ययन किया। हिमालयी क्षेत्र की इन चौकियों पर उपस्थित सेनाध्यक्ष ने जवानों का उत्साहवर्धन किया और नागरिक-सैन्य सहयोग को मजबूत करने पर जोर दिया। यह दौरा सामरिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण पर्वतीय क्षेत्र में संपन्न हुआ।

इस अवसर पर, सेना प्रमुख ने बर्फीली चोटियों और दुर्गम स्थानों पर तैनात जवानों से भेंट की और उन्हें दीपावली की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने इस खास मौके पर उनके साथ समय बिताया। भारतीय सेना के अनुसार, जनरल द्विवेदी ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ और उसके आस-पास के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में तैनात सैन्य टुकड़ियों का भी आकलन किया।

जनरल द्विवेदी ने विशेष रूप से कुमाऊं क्षेत्र के सामरिक महत्व पर प्रकाश डाला, जो नेपाल और चीन की सीमाओं के निकट स्थित है। उन्होंने स्थानीय लोगों की देशभक्ति और दृढ़ता की सराहना की और कुमाऊं रेजिमेंट की गौरवमयी परंपराओं का उल्लेख किया। उन्होंने ऑपरेशन सद्भावना और वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के अंतर्गत चल रही पहलों की भी समीक्षा की, जिनमें गरब्यांग और कालापानी में तंबू आधारित होमस्टे, सड़क अवसंरचना विकास, हाइब्रिड पावर सिस्टम, चिकित्सा शिविर तथा पॉलीहाउस के माध्यम से कृषि सहायता जैसी योजनाएं शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि कुमाऊं में भारतीय सेना 'दया के साथ शक्ति' का प्रतीक है। सेना सीमाओं की रक्षा के साथ-साथ सीमावर्ती समुदायों के सशक्तिकरण के लिए भी प्रतिबद्ध है। रविवार की शाम को, सेना ने सैन्य क्षमतावर्धन की विभिन्न पहलों की जानकारी दी, जिनमें अग्रिम सैन्य चौकी क्षेत्रों में उन्नत निगरानी प्रणालियां और विशेष गतिशीलता वाले प्लेटफॉर्म्स शामिल थे। इसके अलावा, यहाँ सेना अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों के एकीकरण, टोही संसाधनों का अनुकूलन तथा संबंधित सुरक्षा एजेंसियों के साथ बेहतर समन्वय स्थापित कर रही है।

जनरल द्विवेदी ने चुनौतीपूर्ण भौगोलिक परिस्थितियों में सैनिकों द्वारा प्रदर्शित पेशेवरता, अनुशासन, सामरिक सूझबूझ और नवाचारपूर्ण उपकरणों के उपयोग की सराहना की। उन्होंने दूरस्थ इलाकों में तैनात सैनिकों से बातचीत करते हुए उनके धैर्य, साहस और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में कर्तव्यनिष्ठा की प्रशंसा की।

उन्होंने यह भी दोहराया कि भारतीय सेना हर प्रकार की उभरती सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है और 'सेवा परम धर्म' के अपने मूल सिद्धांत के प्रति हमेशा प्रतिबद्ध रहेगी। इस दौरान, जनरल ने पूर्व सैनिकों और स्थानीय नागरिकों से संवाद किया, उनके योगदान की सराहना की और सभी सैनिकों एवं उनके परिवारों को दीपावली की शुभकामनाएं दीं।

दौरे के अंत में, सेना प्रमुख ने पुनः आश्वस्त किया कि भारतीय सेना देश की सुरक्षा, परिचालन उत्कृष्टता और नागरिक-सैन्य सौहार्द को बनाए रखने के लिए सदैव प्रतिबद्ध है और कर्तव्य, सम्मान और राष्ट्रसेवा की सर्वोच्च परंपराओं को आगे बढ़ाती रहेगी।

Point of View

हम हमेशा देश की सुरक्षा के प्रति सजग रहते हैं। यह यात्रा सैन्य सहयोग और सैनिकों के मनोबल को बढ़ाने में महत्वपूर्ण है, जो हमारे देश की सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

सेनाध्यक्ष ने जवानों से कब मुलाकात की?
सेनाध्यक्ष ने 19 अक्टूबर को जवानों से मुलाकात की।
इस दौरे का मुख्य उद्देश्य क्या था?
इस दौरे का मुख्य उद्देश्य सेना की परिचालन स्थिति और तैयारियों का जायजा लेना था।
कुमाऊं क्षेत्र का सामरिक महत्व क्या है?
कुमाऊं क्षेत्र नेपाल और चीन की सीमा के निकट स्थित है, जो इसे सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाता है।
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