क्या सेंगर की जमानत पर वृंदा करात का यह बयान न्यायपालिका में सुधार की आवश्यकता को दर्शाता है?
सारांश
Key Takeaways
- न्यायपालिका की सोच में सुधार की आवश्यकता है।
- महिलाओं के खिलाफ अपराधों में न्यायिक संवेदनशीलता जरूरी है।
- सेंगर को भाजपा का संरक्षण मिला।
- पीड़ितों को न्याय पाने के लिए संघर्ष करना पड़ा।
- दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला चिंताजनक है।
नई दिल्ली, 26 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उन्नाव रेप मामले में पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाई कोर्ट से जमानत मिलने पर सीपीआई (एम) की वरिष्ठ नेता वृंदा करात ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सबसे पहला और जरूरी सुधार न्यायपालिका और जजों की सोच में होना चाहिए।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में कहा कि देश में कानूनों का ढांचा भले ही मजबूत हो, लेकिन अगर जज अब भी मनुवादी सोच से प्रभावित हैं या ऐसे सिस्टम में काम कर रहे हैं, जहां महिलाओं की न्याय की प्राथमिकता नहीं है, तो केवल कानूनी सुधारों से समाधान नहीं निकल सकता। उन्होंने कहा कि खासकर महिलाओं के खिलाफ होने वाले जघन्य अपराधों में न्यायिक संवेदनशीलता बेहद जरूरी है।
वृंदा करात ने इस मामले में भारतीय जनता पार्टी पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि शुरुआत से ही इस अपराधी को उसकी पार्टी भाजपा ने संरक्षण दिया। उन्होंने कहा कि पीड़िता के परिवार और उनके समर्थन में खड़े महिला संगठनों को न्याय के लिए लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा। अंततः जनता के गुस्से और दबाव ने ही प्रशासन और संबंधित अधिकारियों को सेंगर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया।
सीपीआई (एम) नेता ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को लेकर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इस फैसले ने रेप और यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं के वर्षों के संघर्ष को बड़ा नुकसान पहुंचाया है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं की कानूनी सुरक्षा को लेकर जो उपलब्धियां पिछले वर्षों में हासिल की गई थीं, सेंगर जैसे मामलों में दिए गए फैसले उन्हें कमजोर करते हैं।
वृंदा करात ने सवाल उठाते हुए कहा कि कोई अदालत आखिर किस आधार पर नाबालिग के रेप और पीड़िता के पिता की हत्या के दोषी को जमानत दे सकती है। उन्होंने इसे न्याय व्यवस्था के लिए बेहद चिंताजनक बताया और कहा कि ऐसे फैसलों से पीड़ितों का न्याय व्यवस्था से भरोसा उठता है।