क्या एसजीआरवाई घोटाले में सीबीआई कोर्ट ने डीआरडीए बलिया के तत्कालीन सीएफएओ को 5 साल की सजा सुनाई?
सारांश
Key Takeaways
- सीबीआई कोर्ट का फैसला सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम है।
- सत्येंद्र सिंह गंगवार और अन्य को पांच साल की सजा मिली है।
- इस घोटाले में एक करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ।
- सरकारी धन का दुरुपयोग गंभीर अपराध है।
- भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
लखनऊ, 21 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना (एसजीआरवाई) में हुए विशाल घोटाले के संदर्भ में लखनऊ की सीबीआई कोर्ट ने एक कठोर निर्णय सुनाया है। कोर्ट ने जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (डीआरडीए) बलिया के पूर्व मुख्य वित्त एवं लेखा अधिकारी (सीएफएओ) सत्येंद्र सिंह गंगवार समेत तीन व्यक्तियों को दोषी ठहराते हुए पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। साथ ही, इन तीनों पर कुल 77 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया।
यह निर्णय शनिवार को सुनाया गया। सजा पाने वालों में तत्कालीन कनिष्ठ लेखा लिपिक अशोक कुमार उपाध्याय और एक अन्य व्यक्ति रघुनाथ यादव भी शामिल हैं। अदालत ने यह माना कि इन तीनों ने मिलकर सरकारी खजाने को एक करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान पहुंचाया।
सीबीआई के अनुसार, 31 अक्टूबर 2008 को एफआईआर दर्ज की गई थी। सीबीआई ने थाना गड़वार, जिला बलिया में दर्ज इस मामले को अपने हाथ में लिया था। इस मामले में कुल 135 आरोपियों के खिलाफ जांच शुरू की गई थी।
आरोप था कि आरोपियों ने संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना के तहत सरकारी धन और खाद्यान्न का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया। जांच में यह सामने आया कि 75,12190 रुपए की राशि और लगभग 31.10 लाख रुपए मूल्य के खाद्यान्न का गबन किया गया। इसके लिए धोखाधड़ी, जालसाजी, फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल और सरकारी रिकॉर्ड को गायब करने जैसे गंभीर अपराध किए गए।
जांच पूरी होने के बाद, सीबीआई ने 30 जून 2010 को इन तीनों आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। लंबी सुनवाई और सबूतों के आधार पर कोर्ट ने सभी आरोपों को सही पाया और तीनों को दोषी करार दिया।
सीबीआई कोर्ट के इस फैसले को सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त संदेश माना जा रहा है। यह निर्णय बताता है कि जनकल्याणकारी योजनाओं में गड़बड़ी करने वालों को कानून के तहत सजा से बचाया नहीं जाएगा।