क्या शहापुर में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना घटी? नाबालिग बेटी को शादी का झांसा देकर बेचने का प्रयास, चार गिरफ्तार

सारांश
Key Takeaways
- नाबालिगों की सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है।
- समाज में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।
- श्रमजीवी संगठनों की भूमिका महत्वपूर्ण है।
- सरकार को त्वरित कार्रवाई के लिए कदम उठाने चाहिए।
- आर्थिक तंगी से निपटने के लिए सामाजिक समर्थन जरूरी है।
शहापुर, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के ठाणे जिले के शहापुर तहसील से एक अत्यंत चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक पिता ने अपनी नाबालिग बेटी को शादी का झांसा देकर 50 हजार रुपए में बेचने की कोशिश की। लेकिन, श्रमजीवी संगठन और पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने इस अमानवीय सौदे को विफल कर दिया।
यह घटना शहापुर तालुका के किन्हवली पुलिस थाना क्षेत्र के शेणवे गांव के खैरे इलाके में हुई। पुलिस ने इस मामले में पीड़िता के पिता के साथ तीन अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया है। उनके खिलाफ कई गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
शहापुर के उपविभागीय पुलिस अधिकारी मिलिंद शिंदे ने बताया कि पीड़िता का पिता, जो कि आर्थिक रूप से कमजोर आदिवासी कातकरी समाज से है, ने अपनी नाबालिग बेटी को शादी के नाम पर बेचने की योजना बनाई। उसने बिचौलिया प्रकाश मुकणे के जरिए जय लक्ष्मण शिर्के से संपर्क किया। दोनों पक्षों के बीच 50 हजार रुपए का सौदा तय हुआ, जिसमें से 10 हजार रुपए एडवांस के रूप में पहले ही दे दिए गए थे।
आरोपी जय लक्ष्मण शिर्के और उसके पिता लक्ष्मण रघुनाथ शिर्के उच्चवर्णीय समाज से हैं। उन्हें यह पता था कि लड़की नाबालिग है और अनुसूचित जनजाति समुदाय से संबंधित है, फिर भी उन्होंने उसकी गरीबी का फायदा उठाकर यह अमानवीय सौदा किया।
शादी की तारीख 5 अक्टूबर तय की गई थी। लेकिन, जब श्रमजीवी संगठन के कार्यकर्ताओं को इसकी जानकारी मिली, तो उन्होंने आदिवासी क्षेत्र आढावा समिति के अध्यक्ष विवेक पंडित को सूचित किया। विवेक पंडित ने इसकी जानकारी जिलाधिकारी श्रीकृष्ण पांचाळ और पुलिस अधीक्षक डॉ. डीएस स्वामी को दी। वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर स्थानीय पुलिस निरीक्षक नितीन खैरनार के नेतृत्व में पुलिस टीम घटनास्थल पर पहुंची और शादी की तैयारियों को रोकते हुए नाबालिग लड़की की बिक्री को विफल कर दिया।
जांच के दौरान आरोपियों पर बाल विवाह निषेध अधिनियम, भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 143(4), 3 (5) और अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 की धारा 3(2)(वीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है। गिरफ्तार आरोपियों को न्यायिक हिरासत में लेकर आधारवाड़ी जेल, कल्याण भेजा गया है। मामले की आगे की जांच उपविभागीय पुलिस अधिकारी मिलिंद शिंदे के नेतृत्व में जारी है।