क्या 'कौन बनेगा करोड़पति' में शेफाली वर्मा और सुदेश लहरी ने संघर्षों की कहानी साझा की?
सारांश
Key Takeaways
- शेफाली वर्मा की संघर्ष की कहानी
- सुदेश लहरी के प्रेरणादायक अनुभव
- जीरो से शुरू होने में कोई बुराई नहीं
- संघर्ष और मेहनत से सफलता
- मनोरंजन के साथ प्रेरणा
मुंबई, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। टीवी का सबसे प्रसिद्ध क्विज शो 'कौन बनेगा करोड़पति' (केबीसी) उन कहानियों और संघर्षों को उजागर करता है, जो आम लोगों और सेलेब्रिटीज के जीवन को विशिष्ट बनाती हैं। इस बार के एपिसोड में दर्शकों को दो अत्यंत प्रेरणादायक व्यक्तियों से मिलने का अवसर मिला। भारत की सबसे युवा क्रिकेट स्टार शेफाली वर्मा और प्रसिद्ध कमीडियन सुदेश लहरी ने कड़ी मेहनत और संघर्ष के बाद सफलता प्राप्त की।
उन्होंने शो में अपनी जिंदगी की शुरुआती दिक्कतों और संघर्षों के बारे में चर्चा की। शेफाली वर्मा ने इस एपिसोड में अपने खेल की यात्रा की शुरुआत के बारे में बताया।
उन्होंने कहा, 'मेरा पहला अंतरराष्ट्रीय मैच मेरे लिए इतना सरल नहीं था। मेरी पहली इनिंग जीरो से शुरू हुई थी, और यह पल मुझे आज भी याद है।'
उन्होंने आगे बताया, 'मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी। मेरे पिता पहले मेरे भाई को क्रिकेट की ट्रेनिंग दिलाते थे। मैं अक्सर उनके साथ जाती और चिढ़ाती कि यह प्रैक्टिस आसान है। एक दिन मेरे पिता ने मुझे खुद कोशिश करने के लिए कहा। जब मैंने पहली दो गेंदें खेलीं, तो यह देखकर मेरे पिता खुश हुए।'
शेफाली ने बताया कि उनके क्षेत्र में महिला क्रिकेट अकादमी नहीं थी, इसलिए उन्हें लड़कों के साथ खेलना पड़ा। एक बार उनके भाई की तबीयत खराब हो गई और उन्होंने अपने भाई की टी-शर्ट पहनकर, जिस पर उनका नाम 'साहिल' लिखा था, उनकी जगह मैच खेला और पूरे टूर्नामेंट में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बन गईं। यही पल उनके जीवन का सबसे बड़ा मोड़ बन गया।
जब अमिताभ बच्चन ने उनसे पूछा कि उन्होंने अपने भारत के लिए डेब्यू में कितने रन बनाए, तो शेफाली ने कहा, 'मेरी पहली इनिंग जीरो से शुरू हुई। मुझे थोड़ी शर्म भी आई।'
इस पर अमिताभ बच्चन ने समझाया कि जीरो से शुरुआत करने में कोई बुराई नहीं है, क्योंकि जो व्यक्ति जीरो से शुरू करता है, वह भविष्य में हीरो बनता है।
यह पल न केवल शेफाली के लिए बल्कि दर्शकों के लिए भी अत्यंत प्रेरक सिद्ध हुआ।
इसके बाद शो में सुदेश लहरी भी नजर आए। उन्होंने अपने बचपन की कठिनाइयों के बारे में बताया।
सुदेश लहरी ने कहा, 'गरीबी के कारण मैं कभी स्कूल नहीं गया, मैंने नर्सरी तक भी नहीं की। बचपन में मेरी रुचि फिल्मों के प्रति अधिक थी और अमिताभ सर हमेशा मेरे प्रेरणा स्रोत रहे। पहली बार मैं थिएटर में 'शंकर शंभू' फिल्म देखने गया था, तब किसी ने मुझे पैसे देकर वहां जाने में मदद की थी।'
सुदेश लाही ने अमिताभ बच्चन की फिल्मों के कई मजेदार और यादगार दृश्यों को भी याद किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने 'गंगा की सौगंध', 'नमक हलाल', और 'अमर अकबर एंथनी' जैसी फिल्मों को बार-बार देखा है। लोग अमिताभ जी को 'एंग्री यंग मैन' के रूप में जानते हैं, लेकिन उन्होंने उनसे कॉमेडी की कला सीखी है।