क्या शिबू सोरेन के निधन ने सामाजिक न्याय के क्षेत्र में बड़ा संकट खड़ा किया?

Click to start listening
क्या शिबू सोरेन के निधन ने सामाजिक न्याय के क्षेत्र में बड़ा संकट खड़ा किया?

सारांश

शिबू सोरेन, झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक, का निधन देश के लिए एक बड़ा सदमा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसे सामाजिक न्याय के लिए एक बड़ी हानि बताया। आइए जानते हैं उनके जीवन और संघर्ष के बारे में।

Key Takeaways

  • शिबू सोरेन ने झारखंड राज्य के निर्माण के लिए लंबा आंदोलन किया।
  • उन्हें आदिवासी अस्मिता के लिए लड़ने के लिए जाना जाता था।
  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनके योगदान को सराहा।
  • वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन कार्यकाल पूरा नहीं कर सके।
  • उनका जीवन आदिवासी समुदायों के अधिकारों की लड़ाई में समर्पित रहा।

नई दिल्ली, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड आंदोलन के सूत्रधार और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के संस्थापक शिबू सोरेन के निधन से देश भर में शोक की लहर छाई हुई है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए इसे सामाजिक न्याय के क्षेत्र में एक बड़ी क्षति बताया।

राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक भावुक पोस्ट में लिखा, "शिबू सोरेन का निधन सामाजिक न्याय के क्षेत्र में एक बड़ी क्षति है। उन्होंने आदिवासी अस्मिता और झारखंड राज्य के निर्माण के लिए संघर्ष किया। जमीनी स्तर पर काम करने के अलावा, उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और सांसद के रूप में भी योगदान दिया।"

उन्होंने आगे लिखा, "जनता, विशेषकर आदिवासी समुदायों के कल्याण पर उनके ज़ोर को सदैव याद रखा जाएगा। मैं उनके पुत्र और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी, परिवार के अन्य सदस्यों और प्रशंसकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।"

शिबू सोरेन ने सोमवार को दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनका पूरा जीवन झारखंड और वहां के आदिवासी समुदायों के अधिकारों की लड़ाई में समर्पित रहा। उन्हें 'गुरुजी' के नाम से भी जाना जाता था। उन्होंने झारखंड राज्य के निर्माण के लिए लंबा आंदोलन चलाया था।

शिबू सोरेन का जन्म बिहार के हजारीबाग में 11 जनवरी 1944 को हुआ था। उन्हें दिशोम गुरु और गुरुजी के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने आदिवासियों के शोषण के खिलाफ लंबी संघर्ष की थी। 1977 में उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा था, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, 1980 से वह लगातार कई बार सांसद चुने गए।

बिहार से अलग राज्य 'झारखंड' बनाने के आंदोलन में भी उनकी निर्णायक भूमिका रही है। वे तीन बार (2005, 2008, 2009) झारखंड के मुख्यमंत्री बने, लेकिन एक बार भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके।

Point of View

यह स्पष्ट है कि शिबू सोरेन का निधन केवल एक व्यक्ति की हानि नहीं है, बल्कि यह सामाजिक न्याय के लिए एक बड़ा झटका है। उनकी जीवन यात्रा और योगदानों को याद रखा जाएगा। यह घटना हमें याद दिलाती है कि हमें सामाजिक न्याय के लिए और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

शिबू सोरेन का जन्म कब हुआ था?
शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को बिहार के हजारीबाग में हुआ था।
शिबू सोरेन ने कितनी बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया?
शिबू सोरेन ने तीन बार (2005, 2008, 2009) झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया।
शिबू सोरेन को किस नाम से जाना जाता था?
उन्हें 'गुरुजी' और दिशोम गुरु के नाम से जाना जाता था।
राष्ट्रपति मुर्मू ने उनके निधन पर क्या कहा?
राष्ट्रपति मुर्मू ने इसे सामाजिक न्याय के क्षेत्र में एक बड़ी क्षति बताया।
शिबू सोरेन का निधन कहाँ हुआ?
उनका निधन दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल में हुआ।