क्या है शिव-पार्वती की कृपा पाने का सुनहरा अवसर, भौम प्रदोष और जया पार्वती व्रत?

Click to start listening
क्या है शिव-पार्वती की कृपा पाने का सुनहरा अवसर, भौम प्रदोष और जया पार्वती व्रत?

सारांश

शिव-पार्वती की कृपा पाने का सुनहरा अवसर भौम प्रदोष और जया पार्वती व्रत के माध्यम से मिलता है। जानें कैसे इस दिन को मनाने से आपकी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं। इस लेख में व्रत की महत्वता और विधि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।

Key Takeaways

  • भौम प्रदोष और जया पार्वती व्रत का महत्व
  • सही समय पर व्रत रखने का लाभ
  • पूजा विधि का सही पालन
  • संकटों से मुक्ति के उपाय
  • पार्वती माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के तरीके

नई दिल्ली, 7 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मंगलवार को आने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष के नाम से जाना जाता है। इस दिन महादेव की कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत किया जाता है। इसी दिन से जया पार्वती व्रत का आयोजन भी आरंभ हो रहा है। इस दिन सूर्य मिथुन राशि में स्थित होंगे और चंद्र देव वृश्चिक से धनु राशि में प्रवेश करेंगे। दृक पंचांग के अनुसार, 7 जुलाई की रात 11 बजकर 10 मिनट से त्रयोदशी तिथि प्रारंभ होगी, जो 9 जुलाई की रात 12 बजकर 38 मिनट तक बनी रहेगी, इसके बाद चतुर्दशी तिथि शुरू होगी।

इस दिन का शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 23 मिनट से 09 बजकर 24 मिनट के बीच है।

भौम प्रदोष व्रत उस तिथि को कहा जाता है जो मंगलवार को आती है और इसे भगवान शिव के साथ-साथ मंगल ग्रह की शांति के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से कर्ज, भूमि विवाद, शत्रु बाधा और रक्त से संबंधित बीमारियों से राहत मिलती है।

शिव पुराण के अनुसार, यदि किसी की कोई इच्छा पूरी नहीं हो रही है, तो उन्हें इस व्रत का पालन अवश्य करना चाहिए। इस व्रत के माध्यम से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन की अनेक समस्याओं से भी मुक्ति मिलती है।

जया पार्वती व्रत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि से प्रारंभ होकर कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि तक चलता है। यह व्रत मुख्य रूप से गुजरात और पश्चिम भारत में मनाया जाता है, जिसे अविवाहित कन्याएं अपने मनचाहे वर को पाने के लिए करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए किया था।

मान्यता है कि इस दिन बालू या रेत का हाथी बनाकर उसपर पांच प्रकार के फल, फूल और प्रसाद अर्पित करने से मां पार्वती प्रसन्न होती हैं और इच्छित वर का आशीर्वाद देती हैं। यह व्रत गणगौर, हरतालिका तीज और मंगला गौरी व्रत के समान ही किया जाता है।

इस दिन व्रत करने के लिए आप सुबह उठकर स्नान करें, बाद में साफ या नए कपड़े पहनें। फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करके गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें। चौकी पर मां पार्वती और भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें और उन पर कुमकुम, बेलपत्र, कस्तूरी, अष्टगंध और फूल चढ़ाकर पूजा करें। इसके साथ ही मौसमी फल और नारियल का भी चढ़ावा दें। विधि-विधान से पूजा करने के बाद जया पार्वती व्रत की कथा पढ़ें और फिर आरती करें। बालू या रेत के हाथी के सामने रात में जागरण करने के बाद सुबह उसे किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दें।

Point of View

ये व्रत श्रद्धालुओं के लिए संकटों से मुक्ति और इच्छाओं की पूर्ति का माध्यम हैं। यह व्रत न केवल व्यक्तिगत जीवन में सकारात्मकता लाता है, बल्कि समाज में एकता और सामंजस्य को भी बढ़ावा देता है।
NationPress
05/08/2025

Frequently Asked Questions

भौम प्रदोष व्रत कब है?
भौम प्रदोष व्रत मंगलवार को पड़ता है। इस बार यह 7 जुलाई को है।
जया पार्वती व्रत का क्या महत्व है?
यह व्रत अविवाहित कन्याओं द्वारा मनचाहा वर पाने के लिए किया जाता है।
भौम प्रदोष व्रत करने से क्या लाभ होते हैं?
इस व्रत से कर्ज, भूमि विवाद, और स्वास्थ्य समस्याओं से राहत मिलती है।
इस व्रत की विधि क्या है?
सुबह स्नान कर नए कपड़े पहनें, पूजा स्थल को शुद्ध करें, और भगवान शिव और पार्वती की पूजा करें।
इस दिन क्या विशेष करना चाहिए?
बालू या रेत का हाथी बनाकर उस पर फल और फूल अर्पित करना चाहिए।