क्या श्याम बेनेगल ने 'भारत एक खोज' से भारतीय टेलीविजन का चेहरा बदला?

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क्या श्याम बेनेगल ने 'भारत एक खोज' से भारतीय टेलीविजन का चेहरा बदला?

सारांश

क्या आपने कभी सोचा है कि भारतीय टेलीविजन का चेहरा कैसे बदला? 1980 के दशक में श्याम बेनेगल द्वारा निर्मित 'भारत एक खोज' ने दर्शकों को भारतीय इतिहास और संस्कृति से जोड़ा। यह ऐतिहासिक श्रृंखला न केवल मनोरंजन का साधन थी, बल्कि शिक्षा का भी। जानिए इसके पीछे की कहानी और इसके प्रेरणादायक तत्व।

Key Takeaways

  • श्याम बेनेगल ने भारतीय टेलीविजन को नई दिशा दी।
  • 'भारत एक खोज' ने दर्शकों को इतिहास से जोड़ा।
  • इस श्रृंखला में 500 से अधिक कलाकार शामिल थे।
  • यह कार्यक्रम 1988 में प्रसारित हुआ।
  • इसने सामाजिक धाराओं को भी दर्शाया।

नई दिल्ली, 13 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय टेलीविजन का स्वरूप एक समय में अलग हो गया था। यह 1970 और 1980 का दशक था, जब भारतीय टेलीविजन न केवल मनोरंजन का साधन था, बल्कि ज्ञान और इतिहास से जुड़ने का एक मजबूत माध्यम भी था। इसी काल में 'रामायण' और 'महाभारत' जैसे धारावाहिकों के बीच, श्याम बेनेगल ने एक ऐतिहासिक श्रृंखला प्रस्तुत की, जिसने दर्शकों को भारत की सभ्यता, संस्कृति और इतिहास से अवगत कराया। यह श्रृंखला थी, 'भारत एक खोज'।

14 दिसंबर 1934 को हैदराबाद के ट्रिमुलघेरी (वर्तमान में तिरुमलागिरी) में जन्मे श्याम बेनेगल का करियर छह दशकों से अधिक लंबा रहा, जिसमें उन्होंने भारतीय सिनेमा में अपनी अलग पहचान बनाई। बेनेगल की फिल्मोग्राफी में समाज और इतिहास के साथ उनका गहरा संबंध झलकता है। 'भारत एक खोज' ने गंभीर विषयों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत कर भारतीय टेलीविजन के कंटेंट को एक नई दिशा दी।

10 लेखकों और 22 इतिहासकारों ने साढ़े तीन साल के गहन शोध के बाद 'भारत एक खोज' तैयार किया, जो श्याम बेनेगल की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। 20 महीनों की शूटिंग के बाद, 1988 में बेनेगल ने इस टेलीविजन सीरियल का निर्माण शुरू किया। उनके पहले फिल्मों के सिनेमैटोग्राफर, गोविंद निहलानी, ने उनके काम को डॉक्यूमेंट किया।

श्याम बेनेगल के इस सीरियल के निर्माण की कहानी भी महत्वपूर्ण है। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया, "जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे, उन्होंने सोचा कि हमारे पास दो महाकाव्य हैं, तीसरा कुछ ऐसा होना चाहिए जो भारत के इतिहास से संबंधित हो। मैंने तुरंत 'हां' कहा। मेरे मन में 'डिस्कवरी ऑफ इंडिया' का विचार था।"

'डिस्कवरी ऑफ इंडिया' जवाहरलाल नेहरू की किताब है, जो 1947 की आजादी से पहले के लगभग पांच हजार साल के इतिहास को समेटे हुए है। इसे पर्दे पर उतारना आसान नहीं था।

कलाकारों की वेशभूषा और संगीत का चयन करना भी बेनेगल के लिए एक चुनौती थी, क्योंकि हजारों साल पुरानी सभ्यता के अनुसार हर तत्व का चयन करना सरल नहीं था।

उन्होंने कई संस्थानों की मदद ली, जैसे आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, और इसके लिए उन्होंने अपने आर्ट डायरेक्टर को रिसर्च के लिए भेजा।

श्याम बेनेगल ने बताया कि उनके पास कई शानदार लोग थे, जैसे चंपक लक्ष्मी और इरफान हबीब, जिन्होंने विभिन्न कालों के लिए कपड़े डिजाइन किए।

उन्होंने एक दृष्टिकोण विकसित किया जिसमें जवाहरलाल नेहरू का दृष्टिकोण और एक काउंटर दृष्टिकोण शामिल था।

'भारत की खोज' के लिए तीन यूनिटें बनाई गईं - एक यूनिट पुरातात्त्विक सबूतों को कवर कर रही थी, दूसरी कलाकृतियों को, और तीसरी उस युग को जीवित कर रही थी।

इस महाकाव्य सीरियल के लिए बेनेगल की मेहनत को समझा जा सकता है कि 144 सेट बनाए गए थे। 500 से अधिक कलाकारों के साथ काम किया गया।

जब उन्होंने भारत का आधुनिक इतिहास प्रस्तुत किया, तो उन्होंने सामाजिक धाराओं को भी दर्शाया।

1988 और 1989 के बीच, हर रविवार को सुबह 11 बजे, भारत के परिवार अपने टेलीविजन पर 'भारत एक खोज' देख सकते थे, जो 53 एपिसोड की एक लंबी श्रृंखला थी।

Point of View

बल्कि दर्शकों को अपने इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण कार्य किया। यह कार्यक्रम दर्शकों के लिए एक अद्वितीय अनुभव था, जो उन्हें हमारे इतिहास की गहराइयों में ले गया।
NationPress
13/12/2025

Frequently Asked Questions

भारत एक खोज क्या है?
भारत एक खोज एक ऐतिहासिक टेलीविजन श्रृंखला है जिसे श्याम बेनेगल ने निर्देशित किया था। यह भारतीय इतिहास और संस्कृति पर आधारित है।
श्याम बेनेगल का योगदान क्या है?
श्याम बेनेगल ने भारतीय सिनेमा और टेलीविजन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, विशेषकर इतिहास और संस्कृति को प्रस्तुत करने में।
'भारत एक खोज' कब प्रसारित हुआ?
'भारत एक खोज' 1988 और 1989 के बीच हर रविवार को सुबह 11 बजे प्रसारित हुआ।
इस श्रृंखला में कितने एपिसोड थे?
'भारत एक खोज' में कुल 53 एपिसोड थे।
इस श्रृंखला की विशेषता क्या थी?
इस श्रृंखला ने भारत के इतिहास को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया, जिसमें सामाजिक धाराओं को भी दर्शाया गया।
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