क्या सियाचिन में शहीद हुए अग्निवीर नीरज कुमार को राजकीय सम्मान मिला?

सारांश
Key Takeaways
- नीरज कुमार चौधरी का सियाचिन में बलिदान।
- राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार।
- शहीद के परिवार को सरकारी सहायता।
- समुदाय का समर्थन और एकता।
- भारतीय सेना के प्रति गर्व।
देवघर, ११ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर में शहीद हुए झारखंड के निवासी भारतीय सेना के ‘अग्निवीर’ नीरज कुमार चौधरी का गुरुवार को देवघर जिले के कजरा गांव में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
जब तिरंगे में लिपटा उनका पार्थिव शरीर गांव में पहुंचा, तो उन्हें अंतिम दर्शन के लिए हजारों लोग एकत्र हुए। उनके घर पहुंचने पर परिवार के सदस्य विलाप करने लगे, जिससे माहौल में गमगीनता छा गई। इस अवसर पर सेना के जवानों ने शहीद को अंतिम विदाई देते हुए 'गार्ड ऑफ ऑनर' दिया।
उपायुक्त नयन प्रियेश लकड़ा, पुलिस अधीक्षक अजीत पीटर डूंगडूंग, एसडीपीओ सत्येंद्र प्रसाद, अंचल अधिकारी यामुन रविदास और नगर प्रशासक सुरेंद्र किस्कु समेत कई प्रशासनिक अधिकारी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।
२४ वर्षीय नीरज चौधरी लगभग ढाई वर्ष पहले भारतीय सेना में अग्निवीर के रूप में भर्ती हुए थे। उनके पिता अनिल चौधरी एक किसान हैं। परिवार ने कहा कि नीरज ने मातृभूमि की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया है और उन्हें अपने बेटे पर गर्व है। अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में ग्रामीण और राजनीतिक प्रतिनिधि शामिल हुए।
मंत्री हफीजुल हसन के प्रतिनिधि शब्बीर हसन, सारठ विधायक चुन्ना सिंह, पूर्व विधायक रणधीर सिंह, भाजपा नेता गंगा नारायण सिंह और राज पलिवार ने शहीद को श्रद्धांजलि दी।
इससे पहले बुधवार को नीरज कुमार चौधरी का पार्थिव शरीर रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट लाया गया, जहां राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पुष्पचक्र अर्पित कर उन्हें नमन किया।
मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि पिछले वर्ष राज्य कैबिनेट ने निर्णय लिया था कि शहीद होने वाले अग्निवीरों के परिजनों को आर्थिक सहायता और एक आश्रित को सरकारी नौकरी प्रदान की जाएगी। नीरज के परिवार को भी इसका लाभ मिलेगा। शहीद नीरज चौधरी की शहादत दुखद है, लेकिन उन्होंने पूरे झारखंड को गौरवान्वित किया है।